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    Pitru Paksha 2025: इस दिन से शुरू हो जाएगा पितृ पक्ष, कृपा प्राप्ति के लिए करें ये काम

    Updated: Thu, 08 May 2025 05:02 PM (IST)

    वैदिक पंचांग के अनुसार पितृ पक्ष भाद्रपद पूर्णिमा से आश्विन अमावस्या तक रहता है। यह अवधि पूर्वजों के निमित्त तर्पण और पिंडदान करने के लिए उत्तम मानी जाती है। इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। ऐसे में चलिए जानते हैं कि इस साल पितृ पक्ष की शुरुआत कब से होने जा रही है।

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    Pitru Paksha 2025 Date (Picture Credit: Freepik) (AI Image)

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में पितृ पक्ष (Importance of Pitru Paksha) की अवधि काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह अवधि मुख्य रूप से पितरों के लिए समर्पित मानी जाती है, जो 15 दिनों तक चलती है। एक प्रकार से पितृ पक्ष पूर्वजों को श्रद्धांजलि देने का समय है। ऐसे में चलिए जानते हैं कि पितृपक्ष के दौरान व्यक्ति को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

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    कब होगी पितृपक्ष की शुरुआत (Pitru Paksha start date)

    इस साल भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि 07 सितंबर को देर रात 01 बजकर 41 मिनट पर शुरू होने जा रही है। वहीं इस तिथि का समापन 07 सितंबर को ही रात 11 बजकर 38 मिनट पर होगा। ऐसे में रविवार, 07 सितंबर 2025 के दिन से ही पितृ पक्ष की शुरुआत होने जा रही है। वहीं इसका समापन सर्व पितृ अमावस्या यानी 21 सितंबर 2025 को होगा।

    करें इन चीजों का पाठ

    पितृपक्ष (Pitru Paksha 2025) में रोजाना आपको पितृ चालीसा का पाठ करने से लाभ मिल सकता है। इसी के साथ गीता के सातवें अध्याय का भी पाठ करना चाहिए, क्योंकि यह अध्ययन पितृ मुक्ति और मोक्ष से जुड़ा हुआ है।

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    करें इन चीजों का दान 

    पितृपक्ष के दौरान आपको जरूरतमंदों और गरीब लोगों के बीच अन्न, कपड़े, भूमि, तिल, सोना, घी, गुड़, चांदी और नमक आदि का दान करना चाहिए। इससे पितरों की विशेष कृपा आपके ऊपर बनी रहेगी और घर में सुख-समृद्धि का वास होगा। 

    न करें ये काम (Pitru Paksha rituals)

    पितृ पक्ष में कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य नहीं किया जाता। इस दौरान विवाह, सगाई, मुंडन और गृह प्रवेश आदि कार्यों को करने की मनाही होती है। इसी के साथ पितृ पक्ष में नए कपड़े, गहने आदि खरीदना भी शुभ नहीं होता और न ही इस अवधि में नया वाहन, मकान या जमीन खरीदी जाती है।

    इस अवधि में मांसाहारी भोजन तथा मदिरा के सेवन से भी दूरी बनानी चाहिए। साथ ही पितृपक्ष के दौरान नाखून और बाल काटने से भी व्यक्ति को बचना चाहिए। लेकिन यह नियम केवल उनपर लागू होता है, जो तर्पण आदि करते हैं। 

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।