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    Pitru Paksha 2024: पितृ पक्ष के दौरान अपने आप दिखें ये संकेत, तो समझिए प्रसन्न हैं आपके पूर्वज

    Updated: Thu, 05 Sep 2024 04:07 PM (IST)

    हिंदू धर्म में श्राद्ध पक्ष को बेहद विशेष माना गया है। यह 16 दिनों तक चलते है और लोग इस दौरान अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए कई प्रकार के अनुष्ठान करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दौरान पिंड दान करना बहुत अच्छा माना जाता है। इससे पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। साथ ही जीवन की सभी समस्याओं का अंत होता है।

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    Pitru Paksha 2024: पूर्वजों के प्रसन्न होने के संकेत।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पितृ पक्ष के दौरान हर साल पूर्वज धरती लोक पर आते हैं। यह साल का बेहद महत्वपूर्ण समय होता है, जब परिवार के दिवंगत लोगों को याद किया जाता है। यह अवधि कुल सोलह दिनों तक चलती है, जब पिंड दान, श्राद्ध और पितृ तर्पण जैसे अनुष्ठान किए जाते हैं। इस दौरान पितरों का तर्पण करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही घर में खुशहाली का आगमन होता है।

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    वहीं, इस दौरान (Pitru Paksha 2024) कुछ ऐसे संकेत हैं, जिनका मिलना बेहद शुभ माना जाता है, तो चलिए जानते हैं।

    पूर्वजों के प्रसन्न होने के संकेत (Pitru Paksha 2024 Signs Of Happy Ancestors)

    • पितृ पक्ष के दौरान काली गाय व कौवों का दिखना या फिर साथ नजर आना।
    • गाय के रंभाने की आवाज सुनाई देना।
    • घर में काली चीटियों का आना।
    • मुरझाए हुए पौधों का खिलना।
    • कौवे का भोजन करते हुए दिखना।
    • सपने में यदि आपके पूर्वज खुश नजर आएं, तो यह भी एक शुभ संकेत है।

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    इस दिन से शुरू होंगे श्राद्ध पक्ष

    वैदिक पंचांग के अनुसार, पितृ पक्ष की शुरुआत भाद्रपद पूर्णिमा से होती है और समाप्ति आश्विन माह की अमावस्या पर होती है। पंचांग को देखते हुए इस साल पितृ पक्ष की शुरुआत 17 सितंबर, 2024 से हो रही है। वहीं, इनका समापन 02 अक्टूबर, 2024 को होगा।

    माना जाता है कि इस दौरान पितरों का तर्पण करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।