Shri Radha-Krishna: आज भी इस स्थान पर आते हैं राधा-कृष्ण, उनके विवाह का साक्षी है यह स्थान!
भगवान कृष्ण और राधा रानी की पूजा हिंदू धर्म में बेहद शुभ मानी गई है। ऐसी मान्यता है कि जो लोग राधा-कृष्ण की पूजा विधिवत करते हैं उनके सभी दुखों का अंत होता है। इसके साथ ही जीवन में चल रही परेशानियां समाप्त होती हैं। वहीं आज हम एक ऐसे स्थान के बारे में बात करेंगे जिसके दर्शन से जीवन में खुशहाली आती है तो चलिए जानते हैं।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। मथुरा-वृंदावन के हर गलियों में भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं की झलक देखने को मिलती है। ब्रज का कण-कण राधा कृष्ण की रासलीलाओं की महिमा का गुणगान करता है। ऐसा कहा जाता कि राधा रानी के बिना कान्हा अधूरे हैं, जिसका वर्णन पुराणों और शास्त्रों में मिलता है। वहीं, कुछ लोगों के मन में मुरलीधर और देवी राधा की शादी को लेकर मन में कई तरह की आशंकाएं रहती हैं, जिसे आज हम दूर करेंगे।
दरअसल, आज हम एक ऐसे स्थान की बात करेंगे, जहां पर राधा रानी और कान्हा की शादी के साक्ष्य मिलते हैं, तो चलिए उसके बारे में जानते हैं।
यहां मौजूद हैं राधा-कृष्ण के विवाह के साक्ष्य
मथुरा से लगभग 50 किलोमीटर दूर पर संकेत वन (Sanket Van Mathura) स्थित है, जिसे महारास स्थल के नाम से भी जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिव्य स्थान पर आज भी राधा-कृष्ण रास रचाने आते हैं। इसे लेकर ये भी कहा जाता है कि यह वही जगह है जहां पर भगवान श्रीकृष्ण ने किशोरी जी से विवाह किया था।
इस स्थान पर राधा-कृष्ण की विवाह वेदी की शीला है, जिसमें ब्रह्मा जी ने उनके विवाह का वर्णन किया है। इस शिला के साक्ष्य आज भी संकेत वन में हैं।
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दर्शन मात्र से बनते हैं बिगड़े काम
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जब भगवान कृष्ण का विवाह राधा रानी के संग हुआ था, तब ब्रह्मा जी द्वारा इस विवाह वेदी शिला पर उनके इस दिव्य विवाह का वर्णन किया गया था। मंदिर के पुजारी और आस-पास के लोगों का मानना है कि इस दिव्य धाम में आज भी राधा-कृष्ण गोपियों के संग रास रचाया करते हैं।
इसके साथ ही इसके एक बार दर्शन मात्र से व्यक्ति के सभी दुखों का अंत हो जाता है। साथ ही साधक की सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
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