Pitra Dosh Upay: गरुड़ पुराण में बताया है पितृ दोष का कारण, जानिये इसके उपाय भी
गरुड़ पुराण हिंदू धर्म के 18 मुख्य पुराणों में से एक माना गया है। इस पुराण के मुख्य देवता भगवान विष्णु हैं। साथ ही इसमें मृत्यु और उसके बाद की स्थिति का वर्णन मिलता है। इसी के साथ गरुड़ पुराण में पितृ दोष के कारणों के साथ-साथ इसके उपायों पर भी प्रकाश डाला गया है। चलिए जानते हैं इस बारे में।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पितृ दोष को बेहद कष्टकारी माना जाता है। यदि किसी व्यक्ति पर पितृ दोष (Pitra Dosh Ke Upay) लग जाता है, तो उसे अपने जीवन में कई तरह के कष्ट झेलने पड़ते हैं। गरुड़ पुराण में इस बात का वर्णन मिलता है कि पितृदोष केवल एक व्यक्ति तक सीमित नहीं रहता है, बल्कि कई पीढ़ियों तक चलता है।
पितृ दोष के कारण
गरुड़ पुराण में वर्णन मिलता है कि यदि किसी व्यक्ति का विधि-विधान से अंतिम संस्कार या फिर श्राद्ध कर्म न किया जाए, तो इससे उस व्यक्ति की आत्मा शांत नहीं होती, जिस कारण उसके परिजनों को पितृ दोष का सामना करना पड़ता है। इसी के साथ पितरों का अपमान करना भी पितृ दोष का कारण बन सकता है।
होती हैं ये समस्याएं
पितृ दोष होने पर व्यक्ति के वंश को आगे बढ़ाने में परेशानियां आती हैं। घर के सदस्यों के साथ दुर्घटनाएं होती रहती हैं। साथ ही करियर और कारोबार में भी रुकावटें बनी रहती हैं। पितृ दोष का असर लोगों के स्वास्थ्य पर भी देखने को मिलता है और घर में कोई-न-कोई सदस्य हमेशा बीमार बना रहता है। इसी के साथ जातक के विवाह में भी बाधा आती है।
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बचाव के उपाय
गरुड़ पुराण में इस बात का वर्णन किया गया है कि पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए पितृपक्ष सबसे उत्तम अवधि है। इस दौरान आपको पितरों के निमित्त तर्पण और श्राद्ध कर्म करने से पितृदोष से मुक्ति मिल सकती है।
इसी के साथ, प्रत्येक अमावस्या को गरीब, ब्राह्मणों और जरुरमंद लोगों को अन्न का दान करें या फिर भोजन करवाएं। इसके बाद गाय, कौए, कुत्ते को भोजन कराना चाहिए। इस सभी उपायों को करने से आपको अपनी स्थिति में लाभ देखने को मिल सकता है।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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