Falgun Amavasya 2025: फाल्गुन अमावस्या आज, इस विधि से करें पूजा, नोट करें स्नान-दान का शुभ मुहूर्त
हिंदू धर्म में फाल्गुन अमावस्या को बहुत खास माना जाता है। इस दिन (Falgun Amavasya 2025) मांगलिक काम करने की मनाही होती है। हालांकि इस तिथि पर पवित्र नदी में स्नान करना बहुत अच्छा माना जाता है। वहीं जो लोग पितृ दोष से परेशान हैं उन्हें इस दिन अपने पितरों का तर्पण जरूर करना चाहिए और उनके नाम से क्षमता अनुसार दान करना चाहिए।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। अमावस्या पितरों की पूजा के लिए समर्पित है और यह हर महीने आती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन अमावस्या आज यानी 27 फरवरी, 2025 को मनाई जा रही है। यह तिथि पितृ तर्पण व उनसे जुड़े अनुष्ठान के लिए विशेष होती है। ऐसा कहा जाता है कि जो जातक इस दिन सच्ची श्रद्धा के साथ अपने पितरों का तर्पण करते हैं, उन्हें पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा इस दिन (Falgun Amavasya 2025) गंगा स्नान के लिए भी जरूर जाना चाहिए, तो चलिए स्नान-दान से लेकर इस तिथि से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं।
फाल्गुन अमावस्या 2025 स्नान-दान मुहूर्त ( Falgun Amavasya 2025 Snan-Daan Time)
फाल्गुन अमावस्या पर ब्रह्म मुहूर्त सुबह 5 बजकर 9 मिनट से लेकर 5 बजकर 58 मिनट तक था। वहीं, इस तिथि पर शिव योग और सिद्धि योग का भी शुभ संयोग बन रहा है। शिव योग सुबह 5 बजकर 9 मिनट से रात 11 बजकर 40 मिनट तक रहेगा, जबकि सिद्धि योग रात 11 बजकर 40 मिनट से अगले दिन तक रहेगा।
फिर अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 16 मिनट से 01 बजकर 02 मिनट तक रहेगा। इसके साथ ही अमृत काल सुबह 6 बजकर 2 मिनट से सुबह 7 बजकर 31 मिनट तक रहेगा। इस दौरान आप स्नान-ध्यान कर सकते हैं।
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पूजा नियम ( Puja Rules)
- इस दिन व्रत रखने का भी विधान है।
- इस तिथि पर किसी गरीब ब्राह्मण को भोजन, कपड़े, तिल, काले चने, उड़द की दाल और धन आदि का दान करें।
- इस तिथि पर गाय को हर चारा खिलाएं।
- ऐसा कहा जाता है कि इस मौके पर घर में सरसों के तेल या घी का दीपक जलाना चाहिए।
- इसके साथ ही पीपल के पेड़ के नीचे भी इस दिन दीपक जरूर जलाना चाहिए।
- इसके अलावा मन की शांति और आध्यात्मिक उन्नति के लिए, रुद्राभिषेक, जप और ध्यान करना चाहिए।
- इस दिन भगवान शनि की विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए। साथ ही उनकी चालीसा का पाठ और मंत्र जप करना चाहिए।
- इस दिन गंगा स्नान अवश्य करना चाहिए।
- इस दिन पितरों का तर्पण और पिंडदान करना चाहिए।
पितृ पूजन मंत्र (Pitru Puja Mantra)
- ॐ श्री पितराय नम:।।
- ओम आगच्छन्तु में पितर एवं ग्रहन्तु जलान्जलिम।।
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