Rohini Vrat 2025 Date: पौष महीने में कब है रोहिणी व्रत? नोट करें सही डेट एवं शुभ मुहूर्त
शास्त्रों में निहित है कि भगवान वासुपूज्य स्वामी जैन धर्म के बारहवें तीर्थंकर हैं। इनका जन्म बिहार राज्य के भागलुपर में हुआ था। तत्कालीन समय में भागलपुर को चंपा कहा जाता था। इनके पिता का नाम राजा वासुपूज्य और माता जी का नाम रानी जया देवी था। रोहिणी व्रत (Rohini Vrat 2025 Date) के शुभ अवसर पर परमपूज्य भगवान वासु स्वामी की पूजा की जाती है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। जैन धर्म में रोहिणी व्रत का विशेष महत्व है। यह पर्व हर महीने मनाया जाता है। इस दिन भक्ति भाव से भगवान वासुपूज्य स्वामी की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत रखा जाता है। धार्मिक मत है कि रोहिणी व्रत पर भगवान वासुपूज्य स्वामी की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। विवाहित महिलाएं सुख और सौभाग्य में वृद्धि और पति की लंबी आयु के लिए रोहिणी व्रत के दिन उपवास रखती हैं। नवविवाहित महिलाएं पुत्र प्राप्ति के लिए रोहिणी व्रत करती हैं। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से साधक को सभी प्रकार के सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है। आइए, पौष महीने की रोहिणी व्रत की सही डेट, शुभ मुहूर्त और योग जानते हैं-
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शुभ मुहूर्त
हिन्दू पंचांग के अनुसार, पौष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि यानी 11 जनवरी को रोहिणी व्रत मनाया जाएगा। इस शुभ तिथि पर रोहिणी नक्षत्र का संयोग दोपहर 12 बजकर 29 मिनट तक है। साधक सुविधा अनुसार समय पर परमपूज्य भगवान वासु स्वामी की पूजा कर सकते हैं। रोहिणी व्रत त्रयोदशी तिथि में मनाया जाएगा।
शुभ योग
पौष माह के रोहिणी व्रत पर शुक्ल योग और ब्रह्म योग का संयोग बन रहा है। शुक्ल योग दोपहर तक है। वहीं, ब्रह्म योग रात भर है। इस योग में भगवान वासु स्वामी की पूजा करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होगी। साथ ही मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी। इसके साथ ही रोहिणी व्रत पर शिववास योग का भी संयोग है। इस तिथि पर महादेव कैलाश और नंदी पर विराजमान रहेंगे।
पूजा विधि
साधक पौष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी के दिन ब्रह्म बेला में उठें। इसके बाद घर की साफ-सफाई करें। अब नित्य कर्मों से निवृत होकर गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। अब आचमन कर नए कपड़े पहनें और सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें। इसके बाद पंचोपचार कर भक्ति भाव से भगवान वासुपूज्य स्वामी की पूजा करें। भगवान वासुपूज्य स्वामी को फल, फूल आदि चीजें अर्पित करें। अंत में आरती कर सुख और समृद्धि की कामना करें।
वासुपूज्य भगवान की आरती
ॐ जय वासुपूज्य स्वामी, प्रभु जय वासुपूज्य स्वामी।
पंचकल्याणक अधिपति स्वामी, तुम अन्तर्यामी ।।
चंपापुर नगरी भी स्वामी, धन्य हुई तुमसे।
जयरामा वसुपूज्य तुम्हारे स्वामी, मात पिता हरषे ।।
बालब्रह्मचारी बन स्वामी, महाव्रत को धारा।
प्रथम बालयति जग ने स्वामी, तुमको स्वीकारा ।।
गर्भ जन्म तप एवं स्वामी, केवलज्ञान लिया।
चम्पापुर में तुमने स्वामी, पद निर्वाण लिया ।।
वासवगण से पूजित स्वामी, वासुपूज्य जिनवर।
बारहवें तीर्थंकर स्वामी, है तुम नाम अमर ।।
जो कोई तुमको सुमिरे प्रभु जी, सुख सम्पति पावे।
पूजन वंदन करके स्वामी, वंदित हो जावे ।।
ॐ जय वासुपूज्य स्वामी, प्रभु जय वासुपूज्य स्वामी।
पंचकल्याणक अधिपति स्वामी, तुम अन्तर्यामी ।।
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