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    Pausha Putrada Ekadashi 2025: इस आरती के बिना अधूरी है पुत्रदा एकादशी की पूजा, पूरी होती है मनचाही मुराद

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Fri, 10 Jan 2025 07:54 AM (IST)

    ज्योतिषियों की मानें तो पौष पुत्रदा एकादशी (Pausha Putrada Ekadashi 2025) पर दुर्लभ शिववास योग का निर्माण हो रहा है। इसके साथ ही कई अन्य मंगलकारी योग बन रहे हैं। इन योग में लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। इस शुभ अवसर पर साधक मनोवांछित फल पाने के लिए एकादशी का व्रत भी रख रहे हैं।

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    Pausha Putrada Ekadashi 2025: भगवान विष्णु को कैसे प्रसन्न करें?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर वर्ष पौष माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के अगले दिन पुत्रदा एकादशी मनाई जाती है। इस वर्ष 10 जनवरी को पौष पुत्रदा एकादशी है। इस शुभ तिथि पर भक्ति भाव से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा की जा रही है। साथ ही उनके निमित्त एकादशी का व्रत रखा जा रहा है। इस व्रत को करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। साथ ही घर में सुख, समृद्धि एवं खुशहाली आती है।

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    साधक एकादशी तिथि पर श्रद्धा भाव से लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करते हैं। साथ ही पूजा के अंत में आरती-अर्चना की जाती है। अगर आप भी लक्ष्मी नारायण जी की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो पौष पुत्रदा एकादशी तिथि पर विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करें। साथ ही पूजा के अंत में एकादशी माता और लक्ष्मी नारायण जी की आरती (Pausha Putrada Ekadashi 2025 Aarti) अवश्य करें।

    यह भी पढ़ें : इन मंगलकारी योग में मनाई जाएगी पौष पुत्रदा एकादशी, मिलेगा दोगुना फल

    ॥ एकादशी माता की आरती ॥

    ॐ जय एकादशी, जय एकादशी,जय एकादशी माता।

    विष्णु पूजा व्रत को धारण कर,शक्ति मुक्ति पाता॥

    ॐ जय एकादशी...॥

    तेरे नाम गिनाऊं देवी,भक्ति प्रदान करनी।

    गण गौरव की देनी माता,शास्त्रों में वरनी॥

    ॐ जय एकादशी...॥

    मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना,विश्वतारनी जन्मी।

    शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा,मुक्तिदाता बन आई॥

    ॐ जय एकादशी...॥

    पौष के कृष्णपक्ष की,सफला नामक है।

    शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा,आनन्द अधिक रहै॥

    ॐ जय एकादशी...॥

    नाम षटतिला माघ मास में,कृष्णपक्ष आवै।

    शुक्लपक्ष में जया, कहावै,विजय सदा पावै॥

    ॐ जय एकादशी...॥

    विजया फागुन कृष्णपक्ष मेंशुक्ला आमलकी।

    पापमोचनी कृष्ण पक्ष में,चैत्र महाबलि की॥

    ॐ जय एकादशी...॥

    चैत्र शुक्ल में नाम कामदा,धन देने वाली।

    नाम वरूथिनी कृष्णपक्ष में,वैसाख माह वाली॥

    ॐ जय एकादशी...॥

    शुक्ल पक्ष में होयमोहिनी अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी।

    नाम निर्जला सब सुख करनी,शुक्लपक्ष रखी॥

    ॐ जय एकादशी...॥

    योगिनी नाम आषाढ में जानों,कृष्णपक्ष करनी।

    देवशयनी नाम कहायो,शुक्लपक्ष धरनी॥

    ॐ जय एकादशी...॥

    कामिका श्रावण मास में आवै,कृष्णपक्ष कहिए।

    श्रावण शुक्ला होयपवित्रा आनन्द से रहिए॥

    ॐ जय एकादशी...॥

    अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की,परिवर्तिनी शुक्ला।

    इन्द्रा आश्चिन कृष्णपक्ष में,व्रत से भवसागर निकला॥

    ॐ जय एकादशी...॥

    पापांकुशा है शुक्ल पक्ष में,आप हरनहारी।

    रमा मास कार्तिक में आवै,सुखदायक भारी॥

    ॐ जय एकादशी...॥

    देवोत्थानी शुक्लपक्ष की,दुखनाशक मैया।

    पावन मास में करूंविनती पार करो नैया॥

    ॐ जय एकादशी...॥

    परमा कृष्णपक्ष में होती,जन मंगल करनी।

    शुक्ल मास में होयपद्मिनी दुख दारिद्र हरनी॥

    ॐ जय एकादशी...॥

    जो कोई आरती एकादशी की,भक्ति सहित गावै।

    जन गुरदिता स्वर्ग का वासा,निश्चय वह पावै॥

    ॐ जय एकादशी...॥

    ॐ जय जगदीश हरे आरती

    ॐ जय जगदीश हरे,

    स्वामी जय जगदीश हरे ।

    भक्त जनों के संकट,

    दास जनों के संकट,

    क्षण में दूर करे ॥

    ॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

    जो ध्यावे फल पावे,

    दुःख बिनसे मन का,

    स्वामी दुःख बिनसे मन का ।

    सुख सम्पति घर आवे,

    सुख सम्पति घर आवे,

    कष्ट मिटे तन का ॥

    ॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

    मात पिता तुम मेरे,

    शरण गहूं किसकी,

    स्वामी शरण गहूं मैं किसकी ।

    तुम बिन और न दूजा,

    तुम बिन और न दूजा,

    आस करूं मैं जिसकी ॥

    ॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

    तुम पूरण परमात्मा,

    तुम अन्तर्यामी,

    स्वामी तुम अन्तर्यामी ।

    पारब्रह्म परमेश्वर,

    पारब्रह्म परमेश्वर,

    तुम सब के स्वामी ॥

    ॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

    तुम करुणा के सागर,

    तुम पालनकर्ता,

    स्वामी तुम पालनकर्ता ।

    मैं मूरख फलकामी,

    मैं सेवक तुम स्वामी,

    कृपा करो भर्ता॥

    ॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

    तुम हो एक अगोचर,

    सबके प्राणपति,

    स्वामी सबके प्राणपति ।

    किस विधि मिलूं दयामय,

    किस विधि मिलूं दयामय,

    तुमको मैं कुमति ॥

    ॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

    दीन-बन्धु दुःख-हर्ता,

    ठाकुर तुम मेरे,

    स्वामी रक्षक तुम मेरे ।

    अपने हाथ उठाओ,

    अपने शरण लगाओ,

    द्वार पड़ा तेरे ॥

    ॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥

    विषय-विकार मिटाओ,

    पाप हरो देवा,

    स्वमी पाप(कष्ट) हरो देवा ।

    श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,

    श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,

    सन्तन की सेवा ॥

    ॐ जय जगदीश हरे,

    स्वामी जय जगदीश हरे ।

    भक्त जनों के संकट,

    दास जनों के संकट,

    क्षण में दूर करे ॥

    यह भी पढ़ें : Pausha Putrada Ekadashi पर पूजा के समय करें इन मंत्रों का जप, खानदान को मिलेगा घर का चिराग

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