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    Pausha Putrada Ekadashi 2025: इन मंगलकारी योग में मनाई जाएगी पौष पुत्रदा एकादशी, मिलेगा दोगुना फल

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Thu, 09 Jan 2025 07:11 PM (IST)

    सनातन धर्म में एकादशी (Putrada Ekadashi 2025 Yoga) तिथि का विशेष महत्व है। यह पर्व भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु और धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस शुभ अवसर पर लक्ष्मी नारायण जी की विशेष पूजा की जाती है।

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    Putrada Ekadashi 2025: पौष पुत्रदा एकादशी का धार्मिक महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर साल पौष माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के अगले दिन पौष पुत्रदा एकादशी मनाई जाती है। इस वर्ष 10 जनवरी को पौष पुत्रदा एकादशी है। पौष पुत्रदा एकादशी के दिन  भगवान विष्णु संग मां लक्ष्मी की पूजा-भक्ति की जाती है। साथ ही एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही जीवन में खुशियों का आगमन होता है।

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    शास्त्रों में निहित है कि पौष पुत्रदा एकादशी व्रत करने से निसंतान दंपतियों को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है। ज्योतिषियों की मानें तो पौष पुत्रदा एकादशी पर दुर्लभ शिववास योग समेत कई मंगलकारी संयोग बन रहे हैं। इन योग में लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होगी। आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-

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    शुभ योग

    ज्योतिषियों की मानें तो पौष पुत्रदा एकादशी पर शुभ योग का संयोग बन रहा है। इस योग का समापन दोपहर 02 बजकर 37 मिनट पर होगा। इस समय में लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होगी। साथ ही सभी बिगड़े काम बन जाएंगे।

    शुक्ल योग

    पौष पुत्रदा एकादशी पर शुभ योग के बाद शुक्ल योग का संयोग है। शुक्ल योग पूरी रात है। इस समय में जागरण कर प्रभु इच्छा तक उनका सुमिरन कर सकते हैं। शुक्ल योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।

    नक्षत्र एवं करण

    पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर रोहिणी नक्षत्र का संयोग है। इस योग का निर्माण दोपहर 01 बजकर 45 मिनट से हो रहा है। इसके साथ ही बव एवं बालव करण के संयोग हैं। ज्योतिष बव एवं बालव करण और रोहिणी नक्षत्र को शुभ मानते हैं। इन योग में लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करने से साधक पर लक्ष्मी नारायण जी की विशेष कृपा बरसेगी।

    भद्रावास

    पौष पुत्रदा एकादशी तिथि पर भद्रावास और शिववास योग का भी संयोग बन रहा है। भद्रावास का योग सुबह 10 बजकर 19 मिनट तक है। वहीं, शिववास का योग 10 बजकर 19 मिनट से बन रहा है। देवों के देव महादेव पौष पुत्रदा एकादशी के दिन कैलाश पर विराजमान रहेंगे। इस समय में जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होगी।

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    डिसक्लेमर:'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'