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    Paush Pradosh Vrat 2024: प्रदोष व्रत पर करें इस चालीसा का पाठ, मिलेगा भोलेनाथ का आशीर्वाद

    सनातन धर्म में प्रदोष व्रत को बहुत शुभ माना जाता है। यह व्रत भक्त भगवान शंकर को समर्पित है। माना जाता है कि इसका पालन करने से सभी मनाकामनाओं की पूर्ति होती है। साथ ही जीवन में खुशियां आती है। 28 दिसंबर को पौष माह का पहला प्रदोष व्रत रखा जाएगा। इस दिन (Pradosh Vrat 2024) शिव जी की पूजा के साथ मां पार्वती की पूजा भी जरूर करनी चाहिए।

    By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Thu, 26 Dec 2024 02:41 PM (IST)
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    Paush Pradosh Vrat 2024: गौरी चालीसा का पाठ।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। शास्त्रों में शनि प्रदोष व्रत का बड़ा महत्व है। यह दिन भगवान शंकर की पूजा के लिए बेहद उत्तम माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भक्त व्रत रखते हैं और विधिवत पूजा करते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस माह प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2024) 28 दिसंबर को रखा जाएगा। कहते हैं कि इस तिथि पर जो साधक भोलेनाथ की उपासना करते हैं, उन्हें शिव परिवार की कृपा मिलती है। वहीं, इस मौके पर गौरी चालीसा का पाठ परम कल्याणकारी माना जाता है। ऐसे में सुबह उठकर स्नान करें। फिर भोलेनाथ के साथ देवी पार्वती का पंचामृत से अभिषेक करें।

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    इसके बाद उन्हें फल, फूल, माला, अक्षत, कुमकुम, चंदन आदि चीजें अर्पित करें। फिर गौरी चालीसा का पाठ समाप्त कर भावपूर्ण आरती करें। ऐसा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। साथ ही अक्षय फलों की प्राप्ति होती है।

    ।।गौरी चालीसा।।

    ।।चौपाई।।

    मन मंदिर मेरे आन बसो,

    आरम्भ करूं गुणगान,

    गौरी माँ मातेश्वरी,

    दो चरणों का ध्यान।

    पूजन विधि न जानती,

    पर श्रद्धा है अपार,

    प्रणाम मेरा स्वीकारिये,

    हे माँ प्राण आधार।

    नमो नमो हे गौरी माता,

    आप हो मेरी भाग्य विधाता,

    शरणागत न कभी घबराता,

    गौरी उमा शंकरी माता।

    आपका प्रिय है आदर पाता,

    जय हो कार्तिकेय गणेश की माता,

    महादेव गणपति संग आओ,

    मेरे सकल क्लेश मिटाओ।

    सार्थक हो जाए जग में जीना,

    सत्कर्मो से कभी हटूं ना,

    सकल मनोरथ पूर्ण कीजो,

    सुख सुविधा वरदान में दीज्यो।

    हे माँ भाग्य रेखा जगा दो,

    मन भावन सुयोग मिला दो,

    मन को भाए वो वर चाहूं,

    ससुराल पक्ष का स्नेहा मैं पायु।

    परम आराध्या आप हो मेरी,

    फ़िर क्यों वर में इतनी देरी,

    हमरे काज सम्पूर्ण कीजियो,

    थोडे़ में बरकत भर दीजियो।

    अपनी दया बनाए रखना,

    भक्ति भाव जगाये रखना,

    गौरी माता अनसन रहना,

    कभी न खोयूं मन का चैना।

    देव मुनि सब शीश नवाते,

    सुख सुविधा को वर मैं पाते,

    श्रद्धा भाव जो ले कर आया,

    बिन मांगे भी सब कुछ पाया।

    हर संकट से उसे उबारा,

    आगे बढ़ के दिया सहारा,

    जब भी माँ आप स्नेह दिखलावे,

    निराश मन में आस जगावे।

    शिव भी आपका काहा ना टाले,

    दया दृष्टि हम पे डाले,

    जो जन करता आपका ध्यान,

    जग में पाए मान सम्मान।

    सच्चे मन जो सुमिरन करती,

    उसके सुहाग की रक्षा करती,

    दया दृष्टि जब माँ डाले,

    भव सागर से पार उतारे।

    जपे जो ओम नमः शिवाय,

    शिव परिवार का स्नेहा वो पाए,

    जिसपे आप दया दिखावे,

    दुष्ट आत्मा नहीं सतावे।

    सात गुण की हो दाता आप,

    हर इक मन की ज्ञाता आप,

    काटो हमरे सकल क्लेश,

    निरोग रहे परिवार हमेशा।

    दुख संताप मिटा देना माँ,

    मेघ दया के बरसा देना माँ,

    जबही आप मौज में आय,

    हठ जय माँ सब विपदाएं।

    जिस पे दयाल हो माता आप,

    उसका बढ़ता पुण्य प्रताप,

    फल-फूल मै दुग्ध चढ़ाऊ,

    श्रद्धा भाव से आपको ध्यायु।

    अवगुण दृष्टि दृष्टि दृष्टि मेरे ढक देना माँ,

    ममता आंचल कर देना मां,

    कठिन नहीं कुछ आपको माता,

    जग ठुकराया दया को पाता।

    बिन पाऊ न गुन माँ तेरे,

    नाम धाम स्वरूप बहू तेरे,

    जितने आपके पावन धाम,

    सब धामो को मां प्राणम।

    आपकी दया का है ना पार,

    तभी को पूजे कुल संसार,

    निर्मल मन जो शरण में आता,

    मुक्ति की वो युक्ति पाता।

    संतोष धन्न से दामन भर दो,

    असम्भव को माँ सम्भव कर दो,

    आपकी दया के भारे,

    सुखी बसे मेरा परिवार।

    आपकी महिमा अति निराली,

    भक्तो के दुःख हरने वाली,

    मनोकामना पुरन करती,

    मन की दुविधा पल मे हरती।

    चालीसा जो भी पढें सुनाया,

    सुयोग वर् वरदान में पाए,

    आशा पूर्ण कर देना माँ,

    सुमंगल साखी वर देना माँ।

    गौरी माँ विनती करूँ,

    आना आपके द्वार,

    ऐसी माँ कृपा किजिये,

    हो जाए उद्धार।

    हीं हीं हीं शरण में,

    दो चरणों का ध्यान,

    ऐसी माँ कृपा कीजिये,

    पाऊँ मान सम्मान।

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