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    Paush Month 2023: दिसंबर में कब से शुरू हो रहा है पौष माह ? जानें इसका महत्व

    By Jagran NewsEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Thu, 21 Dec 2023 10:01 AM (IST)

    पौष माह के दौरान सूर्य देव की पूजा करने से साधक को शुभ फल की प्राप्ति होती है। इसके अलावा जीवन में सुख-शांति का आगमन होता है। पौष के महीने को छोटा पितृपक्ष भी कहा जाता है। यही वजह है कि इस माह के दौरान पिंडदान और तर्पण करने से जीवन में विशेष फल की प्राप्ति होती है। इस बार पौष माह 27 दिसंबर 2023 से शुरू होगा।

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    Paush Month 2023: दिसंबर में कब से शुरू हो रहा है पौष माह ? जानें इसका महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Paush Month 2023: सनातन धर्म में पौष माह का विशेष महत्व है। हिंदू कैलेंडर का दसवां महीना पौष माह होता है। इस महीने की शुरुआत मार्गशीर्ष पूर्णिमा के अगले दिन से होती है। धार्मिक मत है कि इस माह के दौरान सूर्य देव की पूजा करने से साधक को शुभ फल की प्राप्ति होती है। इसके अलावा जीवन में सुख-शांति का आगमन होता है। पौष के महीने को छोटा पितृपक्ष भी कहा जाता है। यही वजह है कि इस माह के दौरान पिंडदान और तर्पण करने से जीवन में विशेष फल की प्राप्ति होती है। चलिए जानते हैं कब से शुरू हो रहा है पौष माह और इसका महत्व।

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    कब से कब तक है पौष माह

    हिन्दू पंचांग के मुताबिक, पौष माह 27 दिसंबर, 2023 से शुरू होगा और इसका समापन अगले साल 25 जनवरी, 2024 को होगा। पौष महीने में सूर्य देव धनु राशि में प्रवेश करेंगे। धार्मिक मत है कि इस माह में पूर्वजों को पिंडदान करने से उन्हें बैकुंठ की प्राप्ति होती है। माना जाता है कि इस माह में भगवान सूर्य को अर्घ्य देने से तेज, बल और बुद्धि की प्राप्ति होती है। इसके अलावा धन का लाभ मिलता है और इस माह में रविवार का व्रत करने से सूर्य देव का आशीर्वाद मिलता है।

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    पौष माह का महत्व

    इस माह की पूर्णिमा को चंद्रमा पुष्य नक्षत्र में होता है। यही वजह है कि इस माह का नाम पौष माह रखा गया है। सनातन धर्म में भगवान सूर्य को प्रधान देवता माना जाता है। धार्मिक मत के अनुसार, इस माह में भगवान सूर्य देव की पूजा करनी चाहिए। पौष माह में पूर्वजों को पिंडदान करने से उन्हें बैकुंठ की प्राप्ति होती है।

    पौष माह में क्या करें

    मान्यता है कि पौष माह में प्रतिदिन तांबे के बर्तन में शुद्ध जल, लाल चंदन और लाल फूल डालकर 'ऊं सूर्याय नम:' मंत्र का जाप करें। इस कार्य को करने से साधक को बीमारियों से छुटकारा मिलता है।

    इस माह में संक्रांति, अमावस्या, पूर्णिमा और एकादशी पर पितरों की पूजा करें और श्राद्ध करें। ऐसा करने से पितृ दोष दूर होता है और जीवन की समस्त परेशानियों से छुटकारा मिलता है।

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    Author- Kaushik Sharma

    डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।