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    Pauranik Kathayen: कैसे हुआ था पवन पुत्र हनुमान का जन्म, पढ़ें यह पौराणिक कथा

    By Shilpa SrivastavaEdited By:
    Updated: Tue, 19 Jan 2021 11:30 AM (IST)

    Pauranik Kathayen आज मंगलवार है और आज का दिन हनुमान जी को समर्पित होता है। इसी के चलते हम आपको हनुमान जी से संबंधित एक पौराणिक कथा लाए हैं जिसमें यह वर्णित किया गया है कि हनुमान जी का जन्म कैसे हुआ था।

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    Pauranik Kathayen: कैसे हुआ था पवन पुत्र हनुमान का जन्म, पढ़ें यह पौराणिक कथा

    Pauranik Kathayen: आज मंगलवार है और आज का दिन हनुमान जी को समर्पित होता है। इसी के चलते हम आपको हनुमान जी से संबंधित एक पौराणिक कथा लाए हैं जिसमें यह वर्णित किया गया है कि हनुमान जी का जन्म कैसे हुआ था। वेदों और पुराणों के अनुसार, पवन पुत्र हनुमान जी का जन्म चैत्र मंगलवार के ही दिन पूर्णिमा को नक्षत्र व मेष लग्न के योग में हुआ था। इनके पिता का नाम वानरराज राजा केसरी थे। इनकी माता का नाम अंजनी थी। रामचरितमानस में हनुमान जी के जन्म से संबंधित बताया गया है कि हनुमान जी का जन्म ऋषियों द्वारा दिए गए वरदान से हुआ था। मान्यता है कि एक बार वानरराज केसरी प्रभास तीर्थ के पास पहुंचे। वहां उन्होंने ऋषियों को देखा जो समुद्र के किनारे पूजा कर रहे थे।

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    तभी वहां एक विशाल हाथी आया और ऋषियों की पूजा में खलल डालने लगा। सभी उस हाथी से बेहद परेशान हो गए थे। वानरराज केसरी यह दृश्य पर्वत के शिखर से देख रहे थे। उन्होंने विशालकाय हांथी के दांत तोड़ दिए और उसे मृत्यु के घाट उतार दिया। ऋषिगण वानरराज से बेहद प्रसन्न हुए और उन्हें इच्छानुसार रुप धारण करने वाला, पवन के समान पराक्रमी तथा रुद्र के समान पुत्र का वरदान दिया।

    भगवान शिव ने हनुमान जी के रूप में लिया था जन्म:

    एक अन्य कथा के अनुसार, माता अंजनी एक दिन मानव रूप धारण कर पर्वत के शिखर की ओर जा रही थीं। उस समय सूरज डूब रहा था। अंजनी डूबते सूरज की लालीमा को निहारने लगी। इसी समय तेज हवा चलने लगी और उनके वस्त्र उड़ने लगे। हवा इतनी तेज थी वो चारों तरफ देख रही थीं कि कहीं कोई देख तो नहीं रहा है। लेकिन उन्हें कोई दिखाई नहीं दिया। हवा से पत्ते भी नहीं हिल रहे थे। तब माता अंजनी को लगा कि शायद कोई मायावी राक्षस अदृश्य होकर यह सब कर रहा था। उन्हें क्रोध आया और उन्होंने कहा कि आखिर कौन है ऐसा जो एक पतिपरायण स्त्री का अपमान कर रहा है।

    तब पवन देव प्रकट हुए और हाथ जोड़ते हुए अंजनी से माफी मांगने लगे। उन्होंने कहा, "ऋषियों ने आपके पति को मेरे समान पराक्रमी पुत्र का वरदान दिया है इसलिए मैं विवश हूं और मुझे आपके शरीर को स्पर्श करना पड़ा। मेरे अंश से आपको एक महातेजस्वी बालक प्राप्त होगा।" उन्होंने यह भी कहा कि मेरे स्पर्श से भगवान रुद्र आपके पुत्र के रूप में प्रविष्ट हुए हैं। वही आपके पुत्र के रूप में प्रकट होंगे। इस तरह की वानरराज केसरी और माता अंजनी के यहां भगवान शिव ने हनुमान जी के रूप में अवतार लिया।