Pauranik Katha: तो इसलिए गणेश जी पर चढ़ाई जाती है दूर्वा घास, पढ़ें ये पौराणिक कथा
Pauranik Katha हमने कई बार देखा है कि गणेश जी की पूजा करते समय दूर्वा घास का इस्तेमाल किया जाता है। इस घास को कलावे के साथ बांधकर गणेश जी को चढ़ाया जाता है।
Pauranik Katha: हमने कई बार देखा है कि गणेश जी की पूजा करते समय दूर्वा घास का इस्तेमाल किया जाता है। इस घास को कलावे के साथ बांधकर गणेश जी को चढ़ाया जाता है। हालांकि, गणेश जी को दूर्वा घास क्यों चढ़ाई जाती है इसके बारे में बहुत कम लोग जानते होंगे। अगर आप भी इस बारे में नहीं जानते हैं तो आज हम आपको इससे संबंधित एक पौराणिक कथा बता रहे हैं। तो चलिए पढ़ते हैं यह पौराणिक कथा।
प्राचीन काल में हर जगह राक्षसों का आतंक फैला हुआ था। इससे देवता और ऋषि मुनी सभी परेशान थे। इन्हीं में एक राक्षस था जिसका नाम अनलासुर था। इस राक्षस ने हाहाकार मचा रखा था। इस राक्षस से हर जगह हाहाकार मचा रखा था। सभी देवतागण इससे बहुत ज्यादा डरते थे। जब अनलासुर की प्रताड़ना से सभी देवतागण परेशान हो गए थे तब वो इससे निजात पाने के लिए भगवान शिव के पास पहुंचे। शिवजी ने कहा कि सिर्फ गणेश ही हैं जो अनलासुर का विनाश कर सकते हैं।
सभी देवतागण शिवजी की बात सुनकर गणेश जी के पास पहुंचे। सभी ने गणेश जी के सामने हाथ जोड़े और कहा, "हे प्रभु! हमें इस निर्दयी राक्षस से बचाएं।" देवताओं की ऐसी दैन्य स्थिति देखकर श्रीगणेश देवतागण की मदद के लिए तैयार हो गए। इसके बाद अनलासुर और श्री गणेश जी के बीच बहुत भयानक युद्ध हुआ। क्रोध में आकर अनलासुर को गणेश जी निगल गए। इससे अनलासुन का अंत हो जाता है। लेकिन इसके बाद श्री गणेश के पेट में जलन होने लगी। जनल को ठीक करने के लिए देवता और ऋषि-मुनियों ने कई उपचार खोजे लेकिन उन्हें कुछ नहीं मिला।
इसके बाद कश्यप ऋषि ने दूर्वा की 21 गांठ गणेश जी को खाने के लिए दीं। दूर्वा खाने से गणेश जी के पेट की जलन शांत हो जाती है। इससे खुश होकर गणेश जी ने कहा कि जो भी उन्हें आज के बाद दूर्वा घास चढ़ाएगा वो उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी करेंगे।