विष्णु अवतार होने के बाद भी क्यों नहीं होती परशुराम जी की पूजा, वजह जानकर रह जाएंगे हैरान
परशुराम जी ऋषि जमदग्नि और रेणुका के पुत्र थे। वह भगवान शिव के परम भक्त थे और उन्होंने शिक्षा दीक्षा व युद्ध कला भी महादेव से ही सीखी थी। परशुराम जी (Parshuram katha) के बचपन का नाम राम था। लेकिन उन्हें भगवान शिव ने परशु नामक एक अस्त्र प्रदान किया जिसके कारण इन्हें परशुराम के नाम से जाना जाने लगा।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। परशुराम जी को भगवान विष्णु का छठा अवतार माना गया है। साथ ही परशुराम, 8 चिरंजीवियों में से भी एक हैं। लेकिन इसके बाद भी अन्य देवी-देवताओं की तरह उनकी पूजा नहीं की जाती। जिसके पीछे एक नहीं, बल्कि 2-2 कारण मिलते हैं, जो बहुत ही रोचक भी हैं। तो चलिए जानते हैं इस विषय में।
इसलिए नहीं की जाती पूजा
मान्यताओं के अनुसार, परशुराम जी की पूजा न किए जाने के पीछे एक कारण यह भी माना जाता है कि भगवान विष्णु के अन्य सभी अवतार अब पृथ्वी पर मौजूद नहीं है। लेकिन ऐसा माना जाता है कि परशुराम जी आज भी धरती पर ही मौजूद हैं। इसलिए परशुराम जी की पूजा नहीं बल्कि आवाहन किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि योग-ध्यान से भक्त आज भी उनका आवाहन करते हैं, जिससे साधक को पराक्रम और साहस की प्राप्ति होती है।
यह भी है एक कारण
(Picture Credit: Freepik)
असल में परशुराम जी को भगवान विष्णु का उग्र अवतार माना गया है। ऐसे में यह माना जाता है कि यदि उनकी पूजा की जाए, तो इससे साधक को बहुत अधिक ऊर्जा प्राप्त होगी। इस ऊर्जा को एक सामान्य व्यक्ति के लिए ग्रहण करना और उसे नियंत्रित करना काफी कठिन है। यही कारण है कि परशुराम जी की पूजा नहीं की जाती। वहीं परशुराम जी की आराधना करना उन लोगों के लिए शुभ माना गया है, जो साहसिक कार्यों से जुड़े हुए हैं। इसकी पूजा से साधक को पारलौकिक ज्ञान की भी प्राप्ति हो सकती है।
यह भी पढ़ें - Damoh Parshuram Temple: इस मंदिर में परशुरामजी के दर्शन मात्र से पुत्र रत्न की होती है प्राप्ति
ये हैं खास बातें
त्रेतायुग से लेकर द्वापर युग तक, परशुराम में कई योद्धाओं को शिक्षा दी, जिसमें भीष्म, द्रोणाचार्य, कर्ण आदि भी शामिल हैं। परशुराम जी काफी उग्र स्वभाव के थे। पुराणों में वर्णन मिलता है कि उन्होंने अत्याचारी और अहंकारी हैहयवंशीयों का पृथ्वी से 21 बार विनाश कर दिया था।
यह भी पढ़ें - Shukra Nakshatra Parivartan: शुक्र देव ने श्रवण नक्षत्र में किया गोचर, इन राशियों की बदलेगी फूटी किस्मत
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।