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    Parama Ekadashi 2023: परमा एकादशी पर भगवान विष्णु को ये चीजें करें अर्पित, बनी रहेगी कृपा

    By Suman SainiEdited By: Suman Saini
    Updated: Sun, 06 Aug 2023 03:55 PM (IST)

    Parama Ekadashi 2023 जो एकादशी अधिक माह के कृष्ण पक्ष में आती है उसे परमा एकादशी कहा जाता है। परमा एकादशी का उपवास करने के लिए कोई चन्द्र मास तय नहीं है। परमा एकादशी को अधिक मास एकादशी भी कहा जाता है। आइए जानते हैं कि इस दिन भगवान विष्णु को क्या चीजें अर्पित करने से व्यक्ति को लाभ प्राप्त होता है।

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    Parama Ekadashi 2023 परमा एकादशी पर भगवान विष्णु को ये चीजें करें अर्पित।

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Parama Ekadashi 2023: हिन्दू पंचांग के अनुसार, अधिकमास की दूसरी एकादशी अर्थात परमा एकादशी का व्रत 12 अगस्त 2023, शनिवार को रखा जाएगा। परमा एकादशी का व्रत पांच दिन तक करने का विधान है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, यह एकादशी दुर्लभ सिद्धियों की दाता है।

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    क्या है परमा एकादशी का महत्व (Parama Ekadashi Importance)

    पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब इस व्रत को कुबेर जी ने किया था तो भगवान शंकर ने प्रसन्न होकर उन्हें धनाध्यक्ष बना दिया था। इतना ही नहीं, इस व्रत को करने से सत्यवादी राजा हरिश्चन्द्र को पुत्र, स्त्री और राज्य की प्राप्ति हुई थी। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत के दौरान पांच दिन तक स्वर्ण दान, विद्या दान, अन्न दान, भूमि दान और गौ दान करना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति को माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है और उसे धन-धान्य की कोई कमी नहीं होती।

    भगवान विष्णु को ये चीजें करें अर्पित (Parama Ekadashi bhog)

    परमा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर पर पीले रंग के वस्त्र चढ़ाएं, उनका आसन भी पीले रंग का होना चाहिए। साथ ही उन्हें हल्दी, पीला चंदन, अक्षत, पीले फूल, इत्र, धूप-दीप चढ़ाएं। इस दिन भगवान विष्णु को तुलसी दल अर्पित करना बहुत ही शुभ माना जाता है। भोग में भगवान को पीले रंग की मिठाई चढ़ानी चाहिए। भगवान विष्णु को परमा एकादशी पर बेसन के पीले लड्डूओं का भोग लगाना शुभ है।

    इस विधि से करें पूजन (Parama Ekadashi vrat Puja vidhi)

    परमा एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर और स्नाना आदि करने के बाद व्रत का संकल्प लें। इसके बाद भगवान विष्णु का पंचोपचार विधि से पूजन करें। निर्जला व्रत रखकर विष्णु पुराण का श्रवण या पाठ करें। इस दिन रात्रि में भजन-कीर्तन करते हुए जागरण करना चाहिए। साथ ही इन दिन दान-दक्षिणा करने का विशेष महत्व है। द्वादशी के दिन प्रात: भगवान की पूजा करने के बाद व्रत का पारण करें।

    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'