Padam Kaal Sarp Dosh: कब और कैसे लगता है पद्म कालसर्प दोष? इन उपायों से पाएं निजात
धार्मिक मत है कि देवों के देव महादेव की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। वहीं कुंडली में व्याप्त अशुभ ग्रहों का प्रभाव भी समाप्त हो जाता है। मायावी ग्रह राहु एवं केतु (Padam Kaal Sarp Dosh) से निजात पाने के लिए शनिवार के दिन बहती जलधारा में नारियल प्रवाहित करें। साथ ही रोजाना हनुमान चालीसा का पाठ करें।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। नव वर्ष की शुरुआत हो चुकी है। यह वर्ष कई जातकों के लिए बेहद शुभ रहने वाला है। वहीं, कई राशि के जातकों को विषम परिस्थिति से गुजरना पड़ सकता है। इस वर्ष मायावी ग्रह राहु और केतु राशि परिवर्तन करेंगे। इससे मीन और कन्या राशि के जातकों को मायावी ग्रह से मुक्ति मिलेगी। इस वर्ष राहु कुंभ राशि में गोचर करेंगे। वहीं, केतु सिंह राशि में गोचर करेंगे। इसके लिए सिंह एवं कुंभ राशि के जातकों को सावधान रहने की आवश्यकता है। लेकिन क्या आपको पता है कि अगर आपकी कुंडली में पद्म कालसर्प दोष लगा है, तो आपको जीवन में ग्रहों की स्थिति सही होने के बाद भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है? आइए, पद्म कालसर्प दोष के बारे में सबकुछ जानते हैं-
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कब लगता है पद्म कालसर्प दोष?
मायावी ग्रह राहु के पांचवें भाव और केतु के ग्यारहवें भाव में रहने से कुंडली में पद्म कालसर्प दोष बनता है। वहीं, शुभ एवं अशुभ ग्रह राहु और केतु के मध्य रहते हैं। इस स्थिति में जातक पद्म कालसर्प दोष से पीड़ित माना जाता है। पद्म कालसर्प दोष से निवारण के लिए अपने नजदीक के ज्योतिष से संपर्क कर सकते हैं। पद्म कालसर्प दोष के लिए कुंडली का बारीकी से विचार जरूरी है।
पद्म कालसर्प दोष के प्रभाव
ज्योतिषियों की मानें तो पद्म कालसर्प दोष से पीड़ित जातक को वैवाहिक जीवन में परेशानी का सामना करना पड़ता है। वहीं, शिक्षा से जुड़े छात्र करियर में कई गलत फैसले लेते हैं। इससे समय बर्बाद होता है। साथ ही करियर में भी सफलता नहीं मिलती है। कई बार जातक गलत रास्ते पर भी चला जाता है। इस दोष का तत्काल से निवारण जरूरी है। अनदेखी करने से जातक को जीवन में विषम परिस्थिति से गुजरना पड़ता है।
उपाय
ज्योतिषियों का कहना है कि पद्म कालसर्प दोष से पीड़ित जातक रोजाना हनुमान जी की पूजा करें। पूजा के समय हनुमान चालीसा और बजरंग बाण का पाठ अवश्य करें। इसके अलावा, समोवार के दिन गंगाजल में काले तिल मिलाकर भगवान शिव का अभिषेक करें। इसके साथ ही काले तिल का दान अवश्य करें। वहीं, योग्य पंडित की उपस्थिति में निवारण कराना उत्तम रहेगा।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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