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    Vivah Panchami 2023: विवाह पंचमी के दिन जरूर पढ़ें माता सीता और प्रभु श्री राम का विवाह प्रसंग, यहां पढ़ें पूरी कथा

    By Vaishnavi DwivediEdited By: Vaishnavi Dwivedi
    Updated: Mon, 04 Dec 2023 11:28 AM (IST)

    Vivah Panchami 2023 भक्त हर साल इस दिन भगवान राम और मां सीता के विवाह का आयोजन करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन श्री राम विवाह का आयोजन करने से घर में खुशियां आती हैं और वैवाहिक जीवन में प्यार बढ़ता है। साथ ही इस दिन माता जानकी और राम जी के विवाह प्रसंग को सुनने का भी विधान है।

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    Vivah Panchami 2023: विवाह पंचमी पर जरूर पढ़ें श्री राम विवाह की कथा

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली।Vivah Panchami 2023: विवाह पंचमी हर साल मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है। प्रचलित कथाओं और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसी शुभ दिन पर मिथिला नरेश की पुत्री देवी सीता का विवाह भगवान राम के साथ हुआ था। इसलिए इस दिन को विवाह पंचमी के रूप में मनाया जाता है। कहा जाता है कि यह वही शुभ दिन है, जब तुलसीदास जी ने रामचरितमानस को पूरा किया था।

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    साधक हर साल इस दिन प्रभु श्री राम और देवी सीता के विवाह का आयोजन करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन श्री राम विवाह का आयोजन करने से घर में खुशियां आती हैं और वैवाहिक जीवन में प्यार बढ़ता है। साथ ही इस दिन माता जानकी और राम जी के विवाह प्रसंग को सुनने का भी विधान है। तो आइए आसान शब्दों में पढ़ते हैं देवी सीता और प्रभु राम की विवाह कथा -

    विवाह पंचमी कथा

    श्री राम भगवान विष्णु के अवतार हैं और उनका जन्म अयोध्या के राजा दशरथ के सबसे बड़े पुत्र के रूप में हुआ था। मार्गशीर्ष माह की पंचमी तिथि को श्री राम अपने छोटे भाई लक्ष्मण और गुरु विश्वामित्र के साथ देवी सीता की जन्मभूमि जनकपुरी गए थे।

    यह वही शुभ समय था, जब राजा जनक ने माता जानकी के लिए स्वयंवर का आयोजन किया था। इस स्वयंवर में भगवान राम भी शामिल हुए।

    मां सीता से विवाह करने के लिए स्वयंवर में कई शक्तिशाली राजाओं ने भी भाग लिया था, लेकिन राजा जनक की यह शर्त थी कि जो उनके पास मौजूद भगवान शिव के धनुष को तोड़ देगा वही मां सीता के लिए सुयोग्य वर होगा।

    दुर्भाग्य से हर कोई इसमें असफल रहा। लेकिन अपने गुरू विश्वामित्र की आज्ञा से भगवान राम ने ऐसा कर दिखाया। जैसे ही उन्होंने धनुष को उठाया उसके दो टुकड़े हो गए और वहां मौजूद हर कोई हैरान रह गया। इसके बाद विधि अनुसार मां सीता का विवाह मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम के साथ से हुआ।

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    डिसक्लेमर- 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'