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    एक महंत निष्कासित दूसरे हुए पैदल

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    Updated: Mon, 07 Jan 2013 02:37 PM (IST)

    निर्मोही अखाड़ा में श्रीमहंत के पद का विवाद बढ़ता ही जा रहा है। रविवार को अखाड़ा की बैठक में एक महंत को 12 वर्ष के लिए निष्कासित कर दिया गया। उधर, एक ...और पढ़ें

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    इलाहाबाद। निर्मोही अखाड़ा में श्रीमहंत के पद का विवाद बढ़ता ही जा रहा है। रविवार को अखाड़ा की बैठक में एक महंत को 12 वर्ष के लिए निष्कासित कर दिया गया। उधर, एक श्रीमहंत ने विरोधियों से जान का खतरा बताते हुए प्रशासन से सुरक्षा की मांग की है। वहीं अखाड़ा के पदाधिकारी विवाद जल्द सुलझने का दावा कर रहे हैं।

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    निर्मोही अखाड़ा में श्रीमहंत के पद पर हरिद्वार कुंभ में मदनमोहन दास का अभिषेक किया गया था। वह हर बैठक व सभाओं में इसी हैसियत से शामिल होने लगे, लेकिन कुछ दिन पहले प्रयाग में अखाड़ा के महंत रमाकांत दास ने खुद को श्रीमहंत बताना शुरू कर दिया। विवाद सुलझाने के लिए शनिवार को अखाड़ा के पंचों की बैठक हुई। इसमें रमाकांत ने खुद न आकर अपने समर्थक परमात्मानंद को प्रतिनिधि बनाकर भेजा।

    श्रीमहंत मदनमोहन दास का आरोप है कि उन्होंने वहां मौजूद महंतों से अभद्रता की। इस मुद्दे पर रविवार को पुन: पंचों की बैठक हुई, जिसमें परमात्मानंद को 12 वर्ष के लिए अखाड़ा से निष्कासित करने व रमाकांत को कोई पद न देने का निर्णय लिया गया है। बैठक में महंत दिनेंद्र दास, महंत रामदास, महंत भारत दास, महंत रामनारायण दास, महंत नरसिंह दास मौजूद थे। वहीं मदनमोहन दास ने एसएसपी मेला, मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर सुरक्षा मांगी है।

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