Nirjala Ekadashi 2025: निर्जला एकादशी पर मां तुलसी की इस विधि से करें पूजा, बनेंगे सभी बिगड़े काम
निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi 2025) ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष में मनाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व है। इस साल यह 6 जून को मनाई जाएगी। इस दिन मां तुलसी की पूजा भी महत्वपूर्ण मानी जाती है क्योंकि तुलसी भगवान विष्णु को बेहद प्रिय हैं।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को 'निर्जला एकादशी' कहा जाता है। यह सभी एकादशी में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण मानी जाती है, क्योंकि इसका उपवास करने से सभी एकादशी का फल मिलता है। इस साल निर्जला एकादशी 6 जून को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है।
निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi 2025) पर मां तुलसी की पूजा का बड़ा महत्व है, क्योंकि तुलसी भगवान विष्णु को बहुत प्रिय है और उन्हें मां लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है, तो आइए इस पावन तिथि पर देवी तुलसी की पूजा कैसे करनी है? इस आर्टिकल में जानते हैं।
निर्जला एकादशी 2025 डेट और टाइम (Nirjala Ekadashi 2025 Shubh Muhurat)
हिंदू पंचांग को देखते हुए ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 6 जून को रात 2 बजकर 15 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 7 जून को सुबह 4 बजकर 47 मिनट पर होगा। पंचांग गणना के आधार पर 6 जून को निर्जला एकादशी का व्रत रखा जाएगा।
मां तुलसी की पूजा विधि (Tulsi Puja Rituals)
- सुबह उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।
- पीले रंग के वस्त्र धारण करें।
- भगवान विष्णु और मां तुलसी की पूजा का संकल्प लें।
- इस तुलसी के पौधे को जल अर्पित न करें। मान्यता है कि इस दिन तुलसी माता स्वयं भी व्रत करती हैं, इसलिए उन्हें जल नहीं देना चाहिए।
- तुलसी को जल चढ़ाना हो, तो एकादशी से एक दिन पूर्व ही चढ़ा लें।
- सुबह और शाम तुलसी के समक्ष दीपक जलाएं।
- तुलसी जी को लाल चुनरी और शृंगार का सामान अर्पित करें।
- 11, 21, या 108 बार तुलसी जी परिक्रमा करें।
- परिक्रमा करते समय 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' या 'जय जय तुलसी माता' जैसे मंत्रों का जाप करें।
- भगवान विष्णु के भोग में तुलसी दल जरूर शामिल करें।
- अंत में आरती करें और निर्जला एकादशी कथा का पाठ करें।
तुलसी पूजा मंत्र (Tulsi Puja Mantra)
1. वृंदा वृंदावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी।
पुष्पसारा नंदनीय तुलसी कृष्ण जीवनी।।
एतभामांष्टक चैव स्त्रोतं नामर्थं संयुतम।
य: पठेत तां च सम्पूज्य सौश्रमेघ फलंलमेता।।
2. महाप्रसाद जननी सर्व सौभाग्यवर्धिनी, आधि व्याधि हरा नित्यं तुलसी त्वं नमोस्तुते।।
यह भी पढ़ें: Tarot Card Reading: शनि जयंती और तीसरे बड़े मंगल पर इन बातों को न करें अनदेखा, जानिए टैरो विशेषज्ञ की सलाह
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।