Navagraha Stotra: नवग्रह स्तोत्र का पाठ करने से मिलते हैं कई लाभ, नहीं सताती ग्रहों की पीड़ा
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महर्षि वेदव्यास द्वारा रचे गए नवग्रह स्तोत्र का पाठ करने से कुंडली में ग्रहों की स्थिति मजबूत रहती है। जिससे व्यक्ति को ग्रहों की पीड़ा से मुक्ति मिल सकती है। साथ ही यह स्तोत्र (Navagraha Stotra Lyrics) व्यक्ति के कई दुखों का नाश करता है। ऐसे में आइए पढ़ते हैं नवग्रह स्तोत्र और इसके जरूरी नियम।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Navagraha Stotra Lyrics in Hindi: ज्योतिष शास्त्र में नवग्रहों का विशेष महत्व बताया है। माना जाता है कि कुंडली में ग्रहों स्थिति ठीक होने पर व्यक्ति को जीवन में अद्भुत लाभ देखने को मिल सकते हैं। ऐसे में अगर आप रोजाना नवग्रह स्तोत्र का पाठ करते हैं, तो आपको ग्रहों की पीड़ा से छुटकारा मिल सकता है।
नवग्रह स्तोत्र (Navagraha Stotra)
जपाकुसुमसंकाशं काश्यपेयं महाद्युतिम् ।
तमोऽरिं सर्वपापघ्नं प्रणतोऽस्मि दिवाकरम् ॥
दधिशङ्खतुषाराभं क्षीरोदार्णवसंभवम् ।
नमामि शशिनं सोमं शम्भोर्मुकुटभूषणम् ॥
धरणीगर्भसंभूतं विद्युत्कान्तिसमप्रभम् ।
कुमारं शक्तिहस्तं तं मङ्गलं प्रणमाम्यहम् ॥
प्रियङ्गुकलिकाश्यामं रूपेणाप्रतिमं बुधम् ।
सौम्यं सौम्यगुणोपेतं तं बुधं प्रणमाम्यहम् ॥
देवानांच ऋषिणांच गुरुंकांचन सन्निभं ।
बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिं ॥
हिमकुन्दमृणालाभं दैत्यानां परमं गुरुम् ।
सर्वशास्त्रप्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम् ॥
नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम् ।
छायामार्तण्डसंभूतं तं नमामि शनैश्चरम् ॥
अर्धकायं महावीर्यं चन्द्रादित्यविमर्दनम् ।
सिंहिकागर्भसंभूतं तं राहुं प्रणमाम्यहम् ॥
पलाशपुष्पसंकाशं तारकाग्रहमस्तकम् ।
रौद्रं रौद्रात्मकं घोरं तं केतुं प्रणमाम्यहम् ॥
फलश्रुति
इति व्यासमुखोद्गीतं यः पठेत्सुसमाहितः ।
दिवा वा यदि वा रात्रौ विघ्नशान्तिर्भविष्यति ॥
नरनारीनृपाणां च भवेद्दुःस्वप्ननाशनम् ।
ऐश्वर्यमतुलं तेषामारोग्यं पुष्टिवर्धनम् ॥
ग्रहनक्षत्रजाः पीडास्तस्कराग्निसमुद्भवाः ।
ताः सर्वाः प्रशमं यान्ति व्यासो ब्रूते न संशयः ॥
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नवग्रह स्तोत्र पाठ के लाभ
नवग्रह स्तोत्र का पाठ करने से कुंडली में ग्रहों की स्थिति मजबूत होती है। साथ ही नवग्रह स्तोत्र के पाठ से ग्रहों के कारण जीवन में आ रही समस्याएं दूर होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। इन स्तोत्र का पाठ उन लोगों को जरूर करना चाहिए, जिनके ऊपर शनि की साढ़े साती और ढैय्या चल रही है। इससे आपको बुरे प्रभावों से राहत मिल सकती है।
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नवग्रह मंत्र
ऊँ ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी भानु: शशि भूमि सुतो बुधश्च।
गुरुश्च शुक्र शनि राहु केतव सर्वे ग्रहा शांति करा भवंतु।।
नवग्रह स्तोत्र का हर रोज 108 बार लगातार 40 दिनों तक करना शुभ माना जाता है। ऐसा करने से जपकर्ता की सभी कामनाएं पूरी होती हैं।
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