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    Nautapa 2025: नौतपा के दौरान करें ये काम, मिलेगा भगवान सूर्य का आशीर्वाद

    नौतपा का समय बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दौरान भगवान सूर्य की पूजा की जाती है। ज्योतिष के अनुसार सूर्यदेव के रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करने पर गर्मी बढ़ जाती है। नौतपा में दान करने का भी महत्व है जिससे जीवन में सुख-शांति आती है। ऐसे में इस दौरान सुबह स्नान के बाद भगवान सूर्य को अर्घ्य दें और उनकी चालीसा का पाठ करें।

    By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Mon, 19 May 2025 12:47 PM (IST)
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    Nautapa 2025 Date: सूर्य चालीसा का पाठ।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। नौतपा का समय बहुत बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दौरान भगवान सूर्य की पूजा होती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब ग्रहों के राजा सूर्यदेव रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करते हैं, तो धरती का तापमान काफी बढ़ जाता है। अगले 9 दिनों तक गर्मी बहुत ज्यादा होती है, इसलिए इसे नौतपा कहते हैं। कहा जाता है कि इस दौरान भगवान सूर्य की उपासना जरूर करनी चाहिए, इससे इसके बुरे प्रभाव से मुक्ति मिलती है। वहीं, नौतपा (Nautapa 2025) में कुछ दान करने का भी बहुत ज्यादा महत्व है। इससे व्यक्ति के जीवन में सुख-शांति आती है।

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    ऐसे में सुबह स्नान के बाद भगवान सूर्य को अर्घ्य दें और उनकी चालीसा का पाठ करके भव्य आरती करें। ऐसा करने से इस दौरान किसी भी तरह के कष्टों का सामना नहीं करना पड़ता है।

    ।।सूर्य चालीसा का पाठ।।

    ॥ दोहा ॥

    कनक बदन कुण्डल मकर,मुक्ता माला अङ्ग।

    पद्मासन स्थित ध्याइए,शंख चक्र के सङ्ग॥

    ॥ चौपाई ॥

    जय सविता जय जयति दिवाकर!।सहस्रांशु! सप्ताश्व तिमिरहर॥

    भानु! पतंग! मरीची! भास्कर!।सविता हंस! सुनूर विभाकर॥

    विवस्वान! आदित्य! विकर्तन।मार्तण्ड हरिरूप विरोचन॥

    अम्बरमणि! खग! रवि कहलाते।वेद हिरण्यगर्भ कह गाते॥

    सहस्रांशु प्रद्योतन, कहिकहि।मुनिगन होत प्रसन्न मोदलहि॥

    अरुण सदृश सारथी मनोहर।हांकत हय साता चढ़ि रथ पर॥

    मंडल की महिमा अति न्यारी।तेज रूप केरी बलिहारी॥

    उच्चैःश्रवा सदृश हय जोते।देखि पुरन्दर लज्जित होते॥

    मित्र मरीचि भानु अरुण भास्कर।सविता सूर्य अर्क खग कलिकर॥

    पूषा रवि आदित्य नाम लै।हिरण्यगर्भाय नमः कहिकै॥

    द्वादस नाम प्रेम सों गावैं।मस्तक बारह बार नवावैं॥

    चार पदारथ जन सो पावै।दुःख दारिद्र अघ पुंज नसावै॥

    नमस्कार को चमत्कार यह।विधि हरिहर को कृपासार यह॥

    सेवै भानु तुमहिं मन लाई।अष्टसिद्धि नवनिधि तेहिं पाई॥

    बारह नाम उच्चारन करते।सहस जनम के पातक टरते॥

    उपाख्यान जो करते तवजन।रिपु सों जमलहते सोतेहि छन॥

    धन सुत जुत परिवार बढ़तु है।प्रबल मोह को फंद कटतु है॥

    अर्क शीश को रक्षा करते।रवि ललाट पर नित्य बिहरते॥

    सूर्य नेत्र पर नित्य विराजत।कर्ण देस पर दिनकर छाजत॥

    भानु नासिका वासकरहुनित।भास्कर करत सदा मुखको हित॥

    ओंठ रहैं पर्जन्य हमारे।रसना बीच तीक्ष्ण बस प्यारे॥

    कंठ सुवर्ण रेत की शोभा।तिग्म तेजसः कांधे लोभा॥

    पूषां बाहू मित्र पीठहिं पर।त्वष्टा वरुण रहत सुउष्णकर॥

    युगल हाथ पर रक्षा कारन।भानुमान उरसर्म सुउदरचन॥

    बसत नाभि आदित्य मनोहर।कटिमंह, रहत मन मुदभर॥

    जंघा गोपति सविता बासा।गुप्त दिवाकर करत हुलासा॥

    विवस्वान पद की रखवारी।बाहर बसते नित तम हारी॥

    सहस्रांशु सर्वांग सम्हारै।रक्षा कवच विचित्र विचारे॥

    अस जोजन अपने मन माहीं।भय जगबीच करहुं तेहि नाहीं ॥

    दद्रु कुष्ठ तेहिं कबहु न व्यापै।जोजन याको मन मंह जापै॥

    अंधकार जग का जो हरता।नव प्रकाश से आनन्द भरता॥

    ग्रह गन ग्रसि न मिटावत जाही।कोटि बार मैं प्रनवौं ताही॥

    मंद सदृश सुत जग में जाके।धर्मराज सम अद्भुत बांके॥

    धन्य-धन्य तुम दिनमनि देवा।किया करत सुरमुनि नर सेवा॥

    भक्ति भावयुत पूर्ण नियम सों।दूर हटतसो भवके भ्रम सों॥

    परम धन्य सों नर तनधारी।हैं प्रसन्न जेहि पर तम हारी॥

    अरुण माघ महं सूर्य फाल्गुन।मधु वेदांग नाम रवि उदयन॥

    भानु उदय बैसाख गिनावै।ज्येष्ठ इन्द्र आषाढ़ रवि गावै॥

    यम भादों आश्विन हिमरेता।कातिक होत दिवाकर नेता॥

    अगहन भिन्न विष्णु हैं पूसहिं।पुरुष नाम रवि हैं मलमासहिं॥

    ॥ दोहा ॥

    भानु चालीसा प्रेम युत,गावहिं जे नर नित्य।

    सुख सम्पत्ति लहि बिबिध,होंहिं सदा कृतकृत्य॥

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।