Narasimha Jayanti 2019: भगवान विष्णु के 10 प्रमुख अवतारों में महत्वपूर्ण है नृसिंह अवतार, पढ़ें इसकी कथा
भगवान विष्णु के प्रमुख 10 अवतारों में नृसिंह अवतार भी शामिल है। भगवान विष्णु ने भक्त प्रह्लाद की उसके पिता हिरण्यकश्यप से रक्षा के लिए नृसिंह अवतार लिया था।
Narasimha Jayanti 2019: भगवान विष्णु के प्रमुख 10 अवतारों में नृसिंह अवतार भी शामिल है। भगवान विष्णु ने भक्त प्रह्लाद की उसके पिता हिरण्यकश्यप से रक्षा के लिए नृसिंह अवतार लिया था। जिस दिन श्रीहरि विष्णु ने यह अवतार लिया था, उस दिन वैशाख शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि थी, तभी से इस तिथि को नृसिंह जयंती के रूप में मनाया जाता है। नृसिंह अवतार में भगवान विष्णु ने आधा मनुष्य व आधा शेर का शरीर धारण किया था। इस वर्ष अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, नृसिंह जयंती 17 मई को है।
भगवान विष्णु के नृसिंह अवतार की कथा
कश्यप ऋषि के दो पुत्रों में से एक का नाम हिरण्यकश्यप था। उसने कठोर तपस्या से ब्रह्म देव को प्रसन्न कर आशीर्वाद प्राप्त किया था कि उसे कोई देवता, देवी, नर, नारी, असुर, यक्ष या कोई अन्य जीव मार नहीं पाएगा। न दिन में, न रात में, न दोपहर में, न घर में, न बाहर, न आकाश और न ही पाताल में, न ही अस्त्र से और न ही शस्त्र से। यह वरदान प्राप्त करके वह खुद को ईश्वर समझ बैठा था।
वह अपनी प्रजा को स्वयं की पूजा करने के लिए दबाव डालने लगा, जो उसकी पूजा नहीं करता उसे वह तरह तरह की यातनाएं देता था। वह भगवान विष्णु के भक्तों से चिढ़ता था। हिरण्यकश्यप का एक पुत्र था, जिसका नाम प्रह्लाद था। वह भगवान विष्णु का परमभक्त था। जब इसकी जानकारी हिरण्यकश्यप को हुई तो उसने प्रह्लाद को समझाया। उसने अपने बेटे से कहा कि उसके पिता ही ईश्वर हैं, वह उनकी ही पूजा करे। लेकिन हिरण्यकश्यप के बार-बार मना करने पर भी प्रह्लाद ने भगवान विष्णु की भक्ति नहीं छोड़ी।
हिरण्यकश्यप ने इसे अपना अपमान समझ कर बेटे प्रह्लाद को मारने के लिए कई यत्न किए, लेकिन श्रीहरि विष्णु की कृपा से वह बच जाता। अंत में हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठने के लिए मनाया। होलिका को वरदान मिला था कि आग से उसका बाल भी बांका नहीं होगा। लेकिन जब होलिका प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठी, तो श्रीहरि की कृपा से वह स्वयं उस आग में जल गई और प्रह्लाद बच गया। इसलिए होली के समय होलिका दहन होता है।
संसार को हिरण्यकश्यप के अत्याचार से मुक्ति दिलाने और भक्त प्रह्लाद के जीवन की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने नृसिंह अवतार लिया। उन्होंने हिरण्यकश्यप को पकड़ लिया और संध्या वेला में घर की देहली पर अपनी जांघों पर उसे रखकर अपने तेज नखों से उसका कलेजा फाड़ डाला, जिससे वह स्वर्ग सिधार गया।
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