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    Narasimha Jayanti 2024: नरसिंह जयंती पर करें इस स्तोत्र का पाठ, सभी भयों से मिलेगी मुक्ति

    Updated: Sat, 18 May 2024 01:27 PM (IST)

    नरसिंह जयंती (Narasimha Jayanti 2024) का दिन भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार की पूजा के लिए समर्पित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने इसी तिथि पर नरसिंह का अवतार लिया था। ऐसा कहा जाता है कि जो लोग इस दिन श्री हरि के इस उग्र स्वरूप की पूजा करते हैं उन्हें शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

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    Narasimha Jayanti 2024: श्री लक्ष्मी नृसिंह स्तोत्र

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Narasimha Jayanti 2024: नरसिंह जयंती बेहद शुभ मानी जाती है। यह दिन भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार की पूजा के लिए अर्पित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने इसी तिथि पर नरसिंह का अवतार लिया था। इस साल यह जयंती 21 मई, 2024 दिन मंगलवार को मनाई जाएगी। ऐसा कहा जाता है कि जो लोग इस दिन सच्चे भाव से श्री हरि के इस उग्र स्वरूप की उपासना करते हैं और उनके 'श्री लक्ष्मी नृसिंह स्तोत्र' का पाठ करते हैं, उन्हें सभी प्रकार के भयों से सुरक्षा मिलती है, तो आइए यहां श्री लक्ष्मी नृसिंह स्तोत्र का पाठ करते हैं।

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    ॥श्री लक्ष्मी नृसिंह स्तोत्र॥

    श्रीमत् पयोनिधिनिकेतन चक्रपाणे भोगीन्द्रभोगमणिरञ्जितपुण्यमूर्तो ।

    योगीश शाश्वत शरण्य भवाब्धिपोत लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम् ॥

    ब्रह्मेन्द्ररुद्रमरुदर्ककिरीटकोटि सङ्घट्टिताङ्घ्रिकमलामलकान्तिकान्त ।

    लक्ष्मीलसत्कुच्सरोरुहराजहंस लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम् ॥

    संसारघोरगहने चरतो मुरारे मारोग्रभीकरमृगप्रवरार्दितस्य ।

    आर्तस्यमत्सरनिदाघनिपीडितस्य लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम् ॥

    संसारकूपमतिघोरमगाधमूलम् संप्राप्य दुःखशतसर्पसमाकुलस्य ।

    दीनस्य देव कृपणापदमागतस्य लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम् ॥

    संसारसागरविशालकरालकाल नक्रग्रहग्रसननिग्रह विग्रहस्य ।

    व्यग्रस्य रागरसनोर्मिनिपीडितस्य लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम् ॥

    संसारवृक्षमघबीजमनन्तकर्म शाखाशतं करणपत्रमनङ्गपुष्पम् ।

    आरुह्यदुःखफलितं पततो दयालो लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम् ॥

    संसारसर्पघनवक्त्रभयोग्रतीव्र दंष्ट्राकरालविषदग्द्धविनष्टमूर्ते:।

    नागारिवाहन सुधाब्धिनिवास शौरे लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम् ॥

    संसारदावदहनातुरभीकरोरु ज्वालावलीभिरतिदग्धतनूरुहस्य ।

    त्वत्पादपद्मसरसीशरणागतस्य लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम् ॥

    संसारजालपतितस्य जगन्निवास सर्वेन्द्रियार्थबडिशार्थझषोपमस्य ।

    प्रोत्खण्डितप्रचुरतालुकमस्तकस्य लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम् ॥

    संसारभीकरकरीन्द्रकराभिघात निष्पिष्टमर्म वपुषः सकलार्तिनाश ।

    प्राणप्रयाणभवभीतिसमाकुलस्य लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम् ॥

    अन्धस्य मे हृतविवॆकमहाधनस्य चोरैः प्रभो बलिभिरिन्द्रियनामधेयैः ।

    मोहांधकारकुहरे विनिपातितस्य लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम् ॥

    लक्ष्मीपते कमलनाभ सुरेश विष्णो वैकुण्ठ कृष्ण मधुसूदन पुष्कराक्ष ।

    ब्रह्मण्य केशव जनार्दन वासुदेव देवेश देहि कृपणस्य करावलम्बम् ॥

    यन्माययोजितवपुः प्रचुरप्रवाह मग्नार्थमत्र निवहोरुकरावलम्बम् ।

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