Narak Chaturdashi 2025: 19 या 20 अक्टूबर, कब है नरक चतुर्दशी? यहां नोट करें शुभ मुहूर्त और योग
वैदिक पंचांग के अनुसार सोमवार 20 अक्टूबर को दीवाली (Diwali 2025 Kab Hai) है। यह पर्व हार साल कार्तिक अमावस्या के दिन मनाई जाती है। इस शुभ अवसर पर देवी मां लक्ष्मी की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। यह पर्व देश और विदेश में धूमधाम से मनाया जाता है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के अगले दिन नरक चतुर्दशी मनाई जाती है। यह पर्व भगवान कृष्ण को समर्पित होता है। इस दिन जगत के पालनहार भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है। यह पर्व धनतेरस के एक दिन बाद मनाया जाता है। कई बार तिथि गणना से दीवाली के दिन ही नरक चतुर्दशी मनाई जाती है।
धार्मिक मत है कि नरक चतुर्दशी के दिन भगवान कृष्ण की पूजा करने से साधक को जीवन में सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है। साथ ही साधक पर भगवान कृष्ण की असीम कृपा बरसती है। इसके लिए साधक श्रद्धा भाव से चतुर्दशी के दिन जग के नाथ भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं। आइए, नरक चतुर्दशी की सही डेट, शुभ मुहूर्त एवं योग जानते हैं-
नरक चतुर्दशी शुभ मुहूर्त (Narak Chaturdashi Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 19 अक्टूबर को दोपहर 01 बजकर 51 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 20 अक्टूबर को दोपहर 03 बजकर 44 मिनट पर समाप्त होगी। नरक चतुर्दशी के दिन संध्याकाल में दीपदान भी किया जाता है। इस साल 20 अक्टूबर को नरक चतुर्दशी मनाई जाएगी।
नरक चतुर्दशी का महत्व (Narak Chaturdashi Significance)
सनातन शास्त्रों में निहित है कि कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध किया था। इसके लिए हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर नरक चतुर्दशी मनाई जाती है। इस दिन ब्रह्म बेला में सुविधा होने पर अपामार्ग युक्त पानी से स्नान किया जाता है। असुविधा होने पर गंगाजल युक्त पानी से भी स्नान कर सकते हैं।
शुभ योग (Narak Chaturdashi Shubh Yoga)
कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर मंगलकारी शिववास का निर्माण हो रहा है। इन योग में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी। वहीं, यम देवता की उपासना करने से अभयता का वरदान मिलेगा।
पंचांग
- सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 25 मिनट पर
- सूर्यास्त - शाम 05 बजकर 46 मिनट पर
- ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 44 मिनट से 05 बजकर 34 मिनट तक
- विजय मुहूर्त - दोपहर 01 बजकर 59 मिनट से 02 बजकर 45 मिनट तक
- गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 46 मिनट से 06 बजकर 12 मिनट तक
- निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 41मिनट से 12 बजकर 31 मिनट तक
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