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    Narad Jayanti 2024 Date: मई में कब मनाई जाएगी नारद जयंती? जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

    पंचांग के अनुसार साल के तीसरे महिने ज्येष्ठ के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को नारद जयंती मानाई जाती है। इस दिन नारद जी की पूजा-अर्चना की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि इसी दिन नारद जी का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन को नारद जयंती के रूप में मनाया जाता है। नारद जयंती 24 मई 2024 को है।

    By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Sun, 19 May 2024 11:11 AM (IST)
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    Narad Jayanti 2024 Date: मई में कब मनाई जाएगी नारद जयंती? जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Kab Hai Narad Jayanti 2024: हर साल ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को नारद जयंती मनाई जाती है। धार्मिक मान्यता है कि इसी दिन नारद जी का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन को नारद जयंती के रूप में मनाया जाता है। नारद जयंती 24 मई 2024 को है। इस शुभ अवसर पर भगवान नारद जी की पूजा की जाती है। भगवान नारद जी को प्रथम पत्रकार भी कहा जाता है, क्योंकि इन्होंने तीनों लोकों में सूचना पहुंचाने की शुरुआत की थी। आइए जानते हैं नारद जयंती का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व के बारे में।  

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    नारद जयंती 2024 डेट और शुभ मुहूर्त (Narad Jayanti 2024 Date and Shubh Muhurat)  

    ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 23 मई को शाम 07 बजकर 22 मिनट से होगी और इसका समापन 24 मई को शाम 07 बजकर 24 मिनट पर होगा। ऐसे में नारद जयंती 24 मई को मनाई जाएगी।

     

    नारद जयंती पूजा विधि (Narad Jayanti  puja Vidhi)

    नारद जयंती के दिन सुबह उठें और दिन की शुरुआत देवी-देवता के ध्यान से करें। स्नान करने के बाद साफ वस्त्र धारण करें और मंदिर की सफाई करें। चौकी पर कपड़ा बिछाकर नारद जी की प्रतिमा विरजामन करें। इसके बाद दीपक जलाकर आरती करें और प्रभु से जीवन में सुख-शांति के लिए प्रार्थना करें। उन्हें फल और मिठाई का भोग लगाएं। इस दिन विशेष चीजों का दान करना चाहिए। भगवद गीता में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं- मैं ऋषियों में देवर्षि नारद हूं। अतः नारद जी भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं।

    नारद जयंती का महत्व (Narad Jayanti Importance)

    धार्मिक मान्यता है कि नारद जयंती के दिन भगवान नारद जी की पूजा करने से जातक को बल, बुद्धि और शुद्धता प्राप्त होती है। इस शुभ मौके पर भगवान कृष्ण के मंदिर में उनको बांसुरी अर्पित करनी चाहिए। इससे साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।