Namkaran Sanskar: नाम का बच्चे के व्यक्तित्व पर पड़ता है प्रभाव, नामकरण संस्कार के दौरान इन बातों का रखें ध्यान
Namkaran Sanskar बच्चे के जन्म के बाद पूरे विधि-विधान के साथ नामकरण संस्कार किया जाता है। यह 16 संस्कारों में से एक जरूरी संस्कार माना गया है। इसलिए अपने बच्चे के लिए नाम चुनते समय कुछ बातों का ध्यान रखा जाना जरूरी है क्योंकि इसका प्रभाव बच्चे के आने वाले भविष्य पर भी पड़ता है। जानिए हिंदू धर्म के अनुसार बच्चों के लिए कैसे नाम चुनने चाहिए।

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Namkaran Sanskar: हिंदू धर्म में व्यक्ति के जन्म से लेकर मृत्यु तक कुल 16 संस्कार बताए गए हैं, जिनमें से पांचवां संस्कार नामकरण संस्कार होता है। अन्य संस्कारों की तरह यह भी एक महत्वपूर्ण संस्कार है। इसमें जन्म के समय, स्थान और जन्म तिथि को देखकर बच्चे का नाम रखा जाता है। हिंदू धर्म के अनुसार किसी भी जातक के जन्म लेने के समय ही उसके भाग्य का फैसला उस समय आसमान में ग्रह-नक्षत्रों की चाल के आधार पर तय हो जाता है।
कब किया जाता है नामकरण संस्कार
बच्चे के जन्म के दसवें दिन सूतिका के शुद्धिकरण के लिए यज्ञ कराने के बाद नामकरण संस्कार कराया जाता है। सोमवार, गुरुवार और शुक्रवार के दिन नामकरण संस्कार करना शुभ माना जाता है। लेकिन अमावस्या, चतुर्थी या अष्टमी तिथि के दिन नामकरण संस्कार करना शुभ नहीं माना जाता।
क्या है शास्त्रों में महत्व
आयुर्वेदभिवृद्धिश्च सिद्धिर्व्यवहतेस्तथा।
नामकर्मफलं त्वेतत् समुदृष्टं मनीषिभि:।।
इस श्लोक का अर्थ है कि नाम का प्रभाव, बच्चे के व्यक्तित्व पर भी पड़ता है। उसका नाम ही उसके अस्तित्व की पहचान बनता है। साथ ही अपने नाम, आचरण, कर्म से जातक ख्याति प्राप्त करता है।
नाम रखें ऐसा नाम
कई बार बच्चे के माता-पिता यूनिक नाम के चलते ऐसे नाम रख लेते हैं जिसका कोई अर्थ नहीं होता। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, बिना अर्थ के नाम का कोई भी महत्व नहीं होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, संतान के नाम में हमेशा अर्थ का होना जरूरी होता है। क्योंकि नाम का प्रभाव बच्चे के व्यक्तित्व पर भी पड़ता रहता है। अपने बच्चे के लिए देवी-देवताओं के नाम चुनना भी आपको बच्चे के लिए फलदायी होता है।
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