Mulank 3 Jyotish: एंजल की इन टिप्स को जरूर आजमाएं, जीवन होगा खुशहाल और सभी काम होंगे पूरे
अंक ज्योतिष (Mulank 1 Jyotish) और टैरो कार्ड रीडर पल्लवी एके शर्मा की मानें तो आज यानी 03 जनवरी का दिन मूलांक 03 (Numerology Predictions) के लिए बेहद खुशहाल रहने वाला है और रुके हुए काम पूरे होंगे लेकिन एंजल की सलाह का पालन करना अधिक आवश्यक है। ऐसा माना जाता है कि एंजल के नियम का पालन करने से जीवन खुशहाल होता है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। 03 January 2025 Numerology Prediction: ज्योतिष शास्त्र में अंक ज्योतिष को अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। अंक ज्योतिष के अनुसार, जातक के मूलांक की सहायता से उसकी लव लाइफ, हेल्थ समेत आदि बातों के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है। अंक ज्योतिष के अनुसार, आज यानी 03 जनवरी (Numerology 10 December) का दिन मूलांक 03 के जातकों के लिए बेहद अच्छा रहने वाला है। जिन लोगों का जन्म 3, 12, 21 या 31 तारीख को होता है। उनका मूलांक 03 (Mulank 3 Jyotish) होता है। मूलांक 03 के स्वामी बृहस्पति देव हैं। इस मूलांक के जातक किसी के आगे झुकना पसंद नहीं करते हैं। साथ ही साहसी, वीर और शक्तिशाली होते हैं। ऐसे में अंक ज्योतिष और टैरो विशेषज्ञ पल्लवी एके शर्मा से चलिए जानते हैं कि मूलांक 03 के जातकों का आज दिन कैसा रहने वाला है।
एंजल्स की इस सलाह का जरूर करें पालन
- जीवन में अपने गुरु से जुड़े और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।
- किसी काम के बारे में सोचे।
- काम और मौज-मस्ती से दिन को बिताएं।
- जीवन में हमेशा खुशहाल रहें।
- काम को लेकर योजना बनाएं।
- अपने काम और लक्ष्यों के प्रति अपनी मेहनत की सराहना करें।
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इन कार्यों से बनाएं दूरी
- महत्वपूर्ण फैसले लेना।
- अधिक काम करना।
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आज कुछ सेकंड के लिए बिना रुके इसका जाप करें - ''मैं ब्रह्मांड के साथ अपने भाग्य को चमकाने के लिए भगवान से प्रार्थना करता हूं।''
इन मंत्रों का करें जप
- ॐ नमः शिवाय।
- ॐ गं गणपतये
- नमः शिवाय.
- ॐ हुं हनुमते नम
- रोजना सच्चे मन से हनुमान चालीसा का पाठ करें।
बृहस्पति देव के मंत्र
1. देवानाम च ऋषिणाम च गुरुं कांचन सन्निभम।
बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिम्।।
2. ॐ बृं बृहस्पतये नमः।।
3. ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः।।
4. रत्नाष्टापद वस्त्र राशिममलं दक्षात्किरनतं करादासीनं,
विपणौकरं निदधतं रत्नदिराशौ परम्।
पीतालेपन पुष्प वस्त्र मखिलालंकारं सम्भूषितम्,
विद्यासागर पारगं सुरगुरुं वन्दे सुवर्णप्रभम्।।
5.ॐ बृहस्पते अति यदर्यो अर्हाद् द्युमद्विभाति क्रतुमज्जनेषु।
यद्दीदयच्छवस ऋतप्रजात तदस्मासु द्रविणं धेहि चित्रम्।।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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