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    Monday Puja Tips: सोमवार के दिन इस नियम से करें पूजा, मिलेगा शिव-शक्ति का आशीर्वाद

    Updated: Mon, 09 Jun 2025 06:30 AM (IST)

    सोमवार का दिन (Monday Puja Tips) भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित है। इस दिन भोलेनाथ की पूजा करने से भक्तों के सभी दुख दूर होते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। वहीं इस दिन लिंगाष्टकम स्तोत्र का पाठ भी परम कल्याणकारी माना गया है तो आइए पढ़ते हैं।

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    Monday Puja Rule: भगवान शिव की पूजा विधि।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में सोमवार का दिन बहुत फलदायी माना जाता है। यह दिन भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित है। इस दिन भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करने से सभी दुखों का अंत होता है। इसके साथ ही भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस दिन चंद्रदेव की पूजा भी होती है।

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    अगर आप भगवान शिव (Monday Puja Rule) का आशीर्वाद पाना चाहते हैं, तो ''लिंगाष्टकम स्तोत्र'' का पाठ करें। इसके साथ ही विधिवत पूजा करें, तो आइए यहां दी गई प्रमुख बातों को जानते हैं।

    भगवान शिव की पूजा विधि ( Shiv Puja Vidhi)

    • पूजा शुरू करने से पहले भगवान शिव का ध्यान करें और पूजा का संकल्प लें।
    • शिवलिंग पर सबसे पहले जल अर्पित करें।
    • फिर पंचामृत से अभिषेक करें।
    • 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जप करें।
    • शिवलिंग पर सफेद चंदन का लेप लगाएं।
    • बिल्व पत्र, धतूरा, भांग, शमी पत्र और फूल अर्पित करें।
    • धूप और दीपक जलाएं।
    • इसके बाद लिंगाष्टकम स्तोत्र का पाठ करें।
    • अंत में आरती करें।
    • ऐसा करने से शिव कृपा के साथ मनचाहा आशीर्वाद मिलता है।

    ॥लिंगाष्टकम स्तोत्र (Shiv Lingastakam Stotra)॥

    ब्रह्ममुरारिसुरार्चितलिङ्गं निर्मलभासितशोभितलिङ्गम् ।

    जन्मजदुःखविनाशकलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥१॥

    देवमुनिप्रवरार्चितलिङ्गं कामदहं करुणाकरलिङ्गम् ।

    रावणदर्पविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥२॥

    सर्वसुगन्धिसुलेपितलिङ्गं बुद्धिविवर्धनकारणलिङ्गम् ।

    सिद्धसुरासुरवन्दितलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥३॥

    कनकमहामणिभूषितलिङ्गं फणिपतिवेष्टितशोभितलिङ्गम् ।

    दक्षसुयज्ञविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥४॥

    कुङ्कुमचन्दनलेपितलिङ्गं पङ्कजहारसुशोभितलिङ्गम् ।

    सञ्चितपापविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥५॥

    देवगणार्चितसेवितलिङ्गं भावैर्भक्तिभिरेव च लिङ्गम् ।

    दिनकरकोटिप्रभाकरलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥६॥

    अष्टदलोपरिवेष्टितलिङ्गं सर्वसमुद्भवकारणलिङ्गम् ।

    अष्टदरिद्रविनाशितलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥७॥

    सुरगुरुसुरवरपूजितलिङ्गं सुरवनपुष्पसदार्चितलिङ्गम् ।

    परात्परं परमात्मकलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥८॥

    लिङ्गाष्टकमिदं पुण्यं यः पठेत् शिवसन्निधौ।

    शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते॥

    ॥ श्रीशिवपञ्चाक्षरस्तोत्रम् ॥

    नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय,

    भस्माङ्गरागाय महेश्वराय ।

    नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय,

    तस्मै न काराय नमः शिवाय ॥॥

    मन्दाकिनी सलिलचन्दन चर्चिताय,

    नन्दीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय ।

    मन्दारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय,

    तस्मै म काराय नमः शिवाय ॥॥

    शिवाय गौरीवदनाब्जवृन्द,

    सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय ।

    श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय,

    तस्मै शि काराय नमः शिवाय ॥॥

    वसिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्य,

    मुनीन्द्रदेवार्चितशेखराय।

    चन्द्रार्क वैश्वानरलोचनाय,

    तस्मै व काराय नमः शिवाय ॥॥

    यक्षस्वरूपाय जटाधराय,

    पिनाकहस्ताय सनातनाय ।

    दिव्याय देवाय दिगम्बराय,

    तस्मै य काराय नमः शिवाय ॥॥

    पञ्चाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेच्छिवसन्निधौ ।

    शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते ॥

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