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    एकादशी व्रत क्यों है खास, जानिए क्या हैं इसके नियम और महत्व

    Updated: Wed, 07 May 2025 06:11 PM (IST)

    महाभारत काल में पांडवों के अलावा पितामह भीष्म ने भी इस व्रत को किया था। कहते हैं कि इस व्रत के प्रभाव से उन्होंने अपनी मृत्यु का समय खुद चुना था। कहते हैं कि एकादशी के व्रत को करने से मनुष्य समस्त पापों से मुक्त हो जाता है। इस व्रत को करने से वह मोक्ष को प्राप्त करता है।

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    एक माह में दो बार आती हैं एकादशी की तिथि।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। मोहिनी एकादशी का व्रत 8 मई गुरुवार को है, जो कि वैसे भी भगवान विष्णु की पूजा करने का दिन है। मोहिनी एकादशी का व्रत करने से हजार गायों को दान करने का पुण्य मिलता है। आइए इस मौके पर जानते हैं कि एकादशी का व्रत क्यों करना चाहिए और इसकी क्या विधि होती है।

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    शास्त्र और पुराणों के अनुसार, एकादशी को हरि दिन कहा जाता है। यह दिन स्वाभाविक रूप से ऊर्जा से भरा होता है। इस दिन खाना नहीं खाने पर भी भूख का एहसास कम होता है। इसी वजह से एकादशी की तिथि को आध्यात्मिक काम करने की ऊर्जा मन और शरीर को मिलती है।

    एकादशी के व्रत को करने से मनुष्य के किए गए सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। महाभारत काल में पांडवों के अलावा पितामह भीष्म ने भी इस व्रत को किया था। कहते हैं कि इस व्रत के प्रभाव से उन्होंने अपनी मृत्यु का समय खुद चुना था।

    एकादशी का व्रत न सिर्फ आध्यात्म की दृष्टि से, बल्कि सांसारिक दृष्टि से भी अच्छा होता है। इस व्रत को करने वाले मनुष्य के जीवन में सुख-समृद्धि आती है। सांसारिक सुखों को भोगते हुए वह अपने पूर्वजों का भी उद्धार करता है और अंत में खुद भी बैकुंठ धाम को जाता है।

    एकादशी व्रत के नियम

    स्कंद पुराण में एकादशी व्रत के महत्व के बारे में बताया गया है। एकादशी व्रत करने का नियम कठोर होता है। व्रत करने वाले को एकादशी तिथि के पहले यानी दशमी तिथि को सूर्यास्त से लेकर एकादशी के अगले दिन सूर्योदय तक व्रत रखना होता है।

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    एकादशी व्रत के दिन क्या करें

    • एकादशी व्रती को दशमी तिथि के सूर्यास्त के समय से ही शुरू कर देना चाहिए।
    • एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें। नित्य क्रिया करके विष्णु भगवान की पूजा करें।
    • दशमी तिथि के दिन बिना नमक का खाना खाना चाहिए।
    • व्रत के दिन मन में विष्णु जी के मंत्रों का जाप करें, ज्यादा बातचीत न करें।
    • व्रत के दौरान ताजे फल, मेवा, चीनी, कुट्टू का आटा, नारियल, जैतून, दूध, अदरक, काली मिर्च, सेंधा नमक, आलू, साबूदाना, शकरकंद आदि ग्रहण कर सकते हैं।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।