Mohini Ekadashi Vrat 2025: मोहिनी एकादशी पर करें इस स्तोत्र का पाठ, जीवन भर रहेंगे धनवान
मोहिनी एकादशी का व्रत करने से जीवन में शुभता का आगमन होता है। यह दिन भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को समर्पित है। इस साल यह व्रत (Mohini Ekadashi 2025 Date) 8 मई को रखा जाएगा। ऐसे में इस दिन मधुराष्टक स्तोत्र का पाठ जरूर करें जो बहुत फलदायी माना जाता है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष को आने वाली एकादशी को मोहिनी एकादशी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की मोहिनी रूप की पूजा होती है। कहा जाता है कि इस दिन व्रत रखने सभी दुखों से मुक्ति मिलती और जीवन में सुख और शांति का वास होता है। वहीं, इस दिन श्रीकृष्ण की पूजा भी जरूर करनी चाहिए। ऐसे में इस दिन (Mohini Ekadashi Vrat 2025) मधुराष्टक स्तोत्र का पाठ जरूर करें। यह परम लाभकारी माना गया है, आइए इसका पाठ करते हैं।
।।मधुराष्टक स्तोत्र।।
अधरं मधुरं वदनं मधुरं नयनं मधुरं हसितं मधुरं ।
हृदयं मधुरं गमनं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं॥
वचनं मधुरं चरितं मधुरं वसनं मधुरं वलितं मधुरं ।
चलितं मधुरं भ्रमितं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं॥
वेणुर्मधुरो रेणुर्मधुरः पाणिर्मधुरः पादौ मधुरौ ।
नृत्यं मधुरं सख्यं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं॥
गीतं मधुरं पीतं मधुरं भुक्तं मधुरं सुप्तं मधुरं ।
रूपं मधुरं तिलकं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं॥
करणं मधुरं तरणं मधुरं हरणं मधुरं रमणं मधुरं ।
वमितं मधुरं शमितं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं॥
गुञ्जा मधुरा माला मधुरा यमुना मधुरा वीची मधुरा ।
सलिलं मधुरं कमलं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं॥
गोपी मधुरा लीला मधुरा युक्तं मधुरं मुक्तं मधुरं।
दृष्टं मधुरं सृष्टं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं॥
गोपा मधुरा गावो मधुरा यष्टिर्मधुरा सृष्टिर्मधुरा ।
दलितं मधुरं फलितं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं॥
।। श्री बाँकेबिहारी की आरती।।
श्री बाँकेबिहारी तेरी आरती गाऊँ।
कुन्जबिहारी तेरी आरती गाऊँ।
श्री श्यामसुन्दर तेरी आरती गाऊँ।
श्री बाँकेबिहारी तेरी आरती गाऊँ॥
मोर मुकुट प्रभु शीश पे सोहे।
प्यारी बंशी मेरो मन मोहे।
देखि छवि बलिहारी जाऊँ।
श्री बाँकेबिहारी तेरी आरती गाऊँ॥
चरणों से निकली गंगा प्यारी।
जिसने सारी दुनिया तारी।
मैं उन चरणों के दर्शन पाऊँ।
श्री बाँकेबिहारी तेरी आरती गाऊँ॥
दास अनाथ के नाथ आप हो।
दुःख सुख जीवन प्यारे साथ हो।
हरि चरणों में शीश नवाऊँ।
श्री बाँकेबिहारी तेरी आरती गाऊँ॥
श्री हरि दास के प्यारे तुम हो।
मेरे मोहन जीवन धन हो।
देखि युगल छवि बलि-बलि जाऊँ।
श्री बाँकेबिहारी तेरी आरती गाऊँ॥
आरती गाऊँ प्यारे तुमको रिझाऊँ।
हे गिरिधर तेरी आरती गाऊँ।
श्री श्यामसुन्दर तेरी आरती गाऊँ।
श्री बाँकेबिहारी तेरी आरती गाऊँ॥
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