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    Krishna Janmashtami 2025: कब है मासिक कृष्ण जन्माष्टमी? यहां जानें व्रत का दिन और महत्व

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Sun, 11 May 2025 07:24 PM (IST)

    हर महीने में मासिक कालाष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस खास अवसर पर मासिक कृष्ण जन्माष्टमी (Masik Krishna Janmashtami 2025) मनाई जाती है। भक्त भगवान श्री कृष्ण (Lord Krishna) और राधा रानी की विधिपूर्वक पूजा करते हैं। साथ ही अन्न और धन समेत आदि चीजों का दान करें। इन चीजों का दान करने से शुभ फल मिलता है।

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    Krishna Janmashtami 2025: भगवान कृष्ण को कैसे प्रसन्न करें?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि जगत के पालनहार भगवान कृष्ण को समर्पित होता है। इस शुभ अवसर पर भगवान कृष्ण और राधा रानी की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त अष्टमी का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है।

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    धार्मिक मत है कि भगवान कृष्ण के शरणागत रहने वाले साधकों पर भगवान कृष्ण की विशेष कृपा बरसती है। उनकी कृपा से जीवन में सभी प्रकार के भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही मृत्यु के बाद कृष्ण धाम की प्राप्ति होती है। इसके लिए साधक अष्टमी तिथि पर श्रद्धा भाव से भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है। आइए, शुभ मुहूर्त एवं योग जानते हैं।

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    मासिक कृष्ण जन्माष्टमी शुभ मुहूर्त

    ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 20 मई को सुबह 05 बजकर 51 मिनट से शुरू होगी। वहीं, 21 मई को सुबह 04 बजकर 55 मिनट पर समाप्त होगी। मासिक कृष्ण जन्माष्टमी पर निशा काल में भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है। इसके लिए 20 मई को मासिक कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाएगी। वहीं, पूजा का समय देर रात 11 बजकर 57 मिनट से लेकर 12 बजकर 38 मिनट तक है।

    इंद्र योग

    ज्योतिषियों की मानें तो मासिक कृष्ण जन्माष्टमी पर दुर्लभ इंद्र योग का संयोग बन रहा है। इस योग का संयोग देर रात 02 बजकर 50 मिनट तक है। इस दौरान भगवान कृष्ण की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी। साथ ही शुभ काम में सफलता मिलेगी।

    शिववास योग

    मासिक कृष्ण जन्माष्टमी पर शिववास योग का भी संयोग बन रहा है। शिववास योग देर रात 02 बजकर 50 मिनट तक है। इस योग में राधा रानी संग कृष्ण जी की पूजा करने से जीवन में व्याप्त हर परेशानी दूर होगी। मासिक कृष्ण जन्माष्टमी पर धनिष्ठा और शतभिषा नक्षत्र का भी संयोग है।

    पंचांग

    • सूर्योदय - सुबह 05 बजकर 28 मिनट पर
    • सूर्यास्त - शाम 07 बजकर 08 मिनट पर
    • ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 05 मिनट से 04 बजकर 46 मिनट तक
    • विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 35 मिनट से 03 बजकर 29 मिनट तक
    • गोधूलि मुहूर्त - शाम 07 बजकर 07 मिनट से 07 बजकर 27 मिनट तक
    • निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 57 मिनट से 12 बजकर 38 मिनट तक

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    भगवान श्रीकृष्ण के मंत्र

    1. ॐ कृष्णाय नमः

    2. हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे ।

    हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ।।

    3. ॐ श्री कृष्णः शरणं ममः

    4. ॐ देव्किनन्दनाय विधमहे वासुदेवाय धीमहि तन्नो कृष्ण:प्रचोदयात

    5. ॐ नमो भगवते तस्मै कृष्णाया कुण्ठमेधसे।

    सर्वव्याधि विनाशाय प्रभो माममृतं कृधि।।

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।