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    Mauni Amavasya 2025: मौनी अमावस्या पर जरूर करें पितृ सूक्त का पाठ, दूर होगी पितरों की नाराजगी

    अमावस्या तिथि को सनातन धर्म में काफी महत्व दिया जाता है। माघ माह की अमावस्या साल की पहली अमावस्या होने वाली है। साथ ही इस तिथि पर महाकुंभ में अमृत स्नान भी किया जाएगा जिससे इस तिथि का महत्व और भी बढ़ जाता है। ऐसे में आप अमावस्या तिथि पर पितरों की नाराजगी दूर करने के लिए पितृ सूक्त का पाठ कर सकते हैं।

    By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Wed, 22 Jan 2025 08:00 AM (IST)
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    Mauni Amavasya 2025 मौनी अमावस्या पर कैसे करें पितरों को प्रसन्न (Picture Credit: Freepik) (AI Image)

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। इस साल माघ माह की अमावस्या बुधवार, 29 जनवरी 2025 को मनाई जाएगी, जिसे मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya 2025) भी कहा जाता है। यह तिथि पितरों की कृपा प्राप्ति के लिए काफी उत्तम मानी गई है। इस दिन किए गए कुछ कार्यों से पितृ प्रसन्न होते हैं और साधक को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।

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    पितृ सूक्त पाठ

    उदिताम् अवर उत्परास उन्मध्यमाः पितरः सोम्यासः।

    असुम् यऽ ईयुर-वृका ॠतज्ञास्ते नो ऽवन्तु पितरो हवेषु॥

    अंगिरसो नः पितरो नवग्वा अथर्वनो भृगवः सोम्यासः।

    तेषां वयम् सुमतो यज्ञियानाम् अपि भद्रे सौमनसे स्याम्॥

    ये नः पूर्वे पितरः सोम्यासो ऽनूहिरे सोमपीथं वसिष्ठाः।

    तेभिर यमः सरराणो हवीष्य उशन्न उशद्भिः प्रतिकामम् अत्तु॥

    त्वं सोम प्र चिकितो मनीषा त्वं रजिष्ठम् अनु नेषि पंथाम्।

    तव प्रणीती पितरो न देवेषु रत्नम् अभजन्त धीराः॥

    त्वया हि नः पितरः सोम पूर्वे कर्माणि चक्रुः पवमान धीराः।

    वन्वन् अवातः परिधीन् ऽरपोर्णु वीरेभिः अश्वैः मघवा भवा नः॥

    त्वं सोम पितृभिः संविदानो ऽनु द्यावा-पृथिवीऽ आ ततन्थ।

    तस्मै तऽ इन्दो हविषा विधेम वयं स्याम पतयो रयीणाम्॥

    बर्हिषदः पितरः ऊत्य-र्वागिमा वो हव्या चकृमा जुषध्वम्।

    तऽ आगत अवसा शन्तमे नाथा नः शंयोर ऽरपो दधात॥

    आहं पितृन्त् सुविदत्रान् ऽअवित्सि नपातं च विक्रमणं च विष्णोः।

    बर्हिषदो ये स्वधया सुतस्य भजन्त पित्वः तऽ इहागमिष्ठाः॥

    उपहूताः पितरः सोम्यासो बर्हिष्येषु निधिषु प्रियेषु।

    तऽ आ गमन्तु तऽ इह श्रुवन्तु अधि ब्रुवन्तु ते ऽवन्तु-अस्मान्॥

    पितृ दोष लगने पर व्यक्ति के ऊपर दुखों का पहाड़ टूट जाता है। ऐसे में अमावस्या तिथि इससे छुटकारा पाने के लिए एक विशेष अवसर है। पितृ दोष से राहत पाने के लिए अमावस्या पर पितृ सूक्त का पाठ जरूर करना चाहिए।

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    आ यन्तु नः पितरः सोम्यासो ऽग्निष्वात्ताः पथिभि-र्देवयानैः।

    अस्मिन् यज्ञे स्वधया मदन्तो ऽधि ब्रुवन्तु ते ऽवन्तु-अस्मान्॥

    अग्निष्वात्ताः पितर एह गच्छत सदःसदः सदत सु-प्रणीतयः।

    अत्ता हवींषि प्रयतानि बर्हिष्य-था रयिम् सर्व-वीरं दधातन॥

    येऽ अग्निष्वात्ता येऽ अनग्निष्वात्ता मध्ये दिवः स्वधया मादयन्ते।

    तेभ्यः स्वराड-सुनीतिम् एताम् यथा-वशं तन्वं कल्पयाति॥

    अग्निष्वात्तान् ॠतुमतो हवामहे नाराशं-से सोमपीथं यऽ आशुः।

    ते नो विप्रासः सुहवा भवन्तु वयं स्याम पतयो रयीणाम्॥

    आच्या जानु दक्षिणतो निषद्य इमम् यज्ञम् अभि गृणीत विश्वे।

    मा हिंसिष्ट पितरः केन चिन्नो यद्व आगः पुरूषता कराम॥

    आसीनासोऽ अरूणीनाम् उपस्थे रयिम् धत्त दाशुषे मर्त्याय।

    पुत्रेभ्यः पितरः तस्य वस्वः प्रयच्छत तऽ इह ऊर्जम् दधात॥

    मौनी अमावस्या पितरों के निमित्त तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध क्रम करने के लिए विशेष है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने से भी साधक को अच्छे परिणाम मिलते हैं। संभव हो तो आप महाकुंभ में स्नान के लिए जरूर जाएं।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।