Matru Navami 2025: इन उपायों से करें दिवंगत मां को प्रसन्न, जीवन की हर परेशानी होगी दूर
पितृ पक्ष का प्रत्येक दिन खास होता है। इस दौरान मृत आत्माओं का श्राद्ध (Matru Navami 2025) तर्पण और पिंडदान किया जाता है। पितृपक्ष के दौरान पितरों का तर्पण करने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। वहीं व्यक्ति विशेष पर पितरों की कृपा बरसती है। उनकी कृपा से जीवन में सुखों का आगमन होता है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि मृत माताओं को समर्पित होता है। इस शुभ अवसर पर मृत माताओं का श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान किया जाता है। आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि पर मृत माताओं का श्राद्ध और तर्पण करने से व्यक्ति पर मृत माताओं की कृपा बरसती है। उनकी कृपा से व्यक्ति को जीवन में सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है।
गरुड़ पुराण में वर्णित है कि आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि पर मृत माताओं को प्रसन्न करने के लिए श्रद्धा भाव से श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करना चाहिए। इसके साथ ही मातृ नवमी तिथि पर ये उपाय जरूर करें। आइए जानते हैं-
तर्पण का शुभ समय
आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि पर कुतुप मूहूर्त सुबह 11 बजकर 51 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 41 मिनट तक है। वहीं, रौहिण मूहूर्त दोपहर 12 बजकर 41 मिनट से लेकर 01 बजकर 30 मिनट तक है। जबकि, अपराह्न काल में दोपहर 01 बजकर 30 मिनट से लेकर 03 बजकर 58 मिनट तक है। इस दौरान सुविधानुसार समय पर मृत माताओं का श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान कर सकते हैं।
मातृ नवमी के उपाय
- मृत माताओं की कृपा पाने के लिए मातृ नवमी के दिन तुलसी माता की पूजा अवश्य करें। इसके साथ ही तुलसी माता को जल अवश्य ही अर्पित करें। साथ ही संध्याकाल में तुलसी माता की आरती करें। इस समय तुलसी के नीचे दीपक अवश्य जलाएं।
- मातृ नवमी के दिन पीपल पेड़ की पूजा अवश्य करें। इस समय पीपल पेड़ के नीचे दीपक अवश्य जलाएं। काले तिल मिश्रित जल से पीपल को अर्घ्य दें। इस उपाय को करने से मृत माताएं प्रसन्न होती हैं।
- मातृ नवमी के दिन जरूरतमंद महिलाओं को सुहाग का सामान दान करें। आप सुख और सौभाग्य में वृद्धि के लिए सुहाग की चीजें महिलाओं को दान में दें।
- मृत माताओं को प्रसन्न करने के लिए मातृ नवमी के दिन जरूरतमंदों को भोजन कराएं। साथ ही अपनी आर्थिक स्थिति अनुसार अन्न और धन का दान करें।
यह भी पढ़ें- Pitru Paksha 2025: मां सीता ने क्यों दिया था पितृपक्ष में गाय को श्राप? पढ़िए कथा
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।