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    Pitru Paksha 2025: मां सीता ने क्यों दिया था पितृपक्ष में गाय को श्राप? पढ़िए कथा

    Updated: Fri, 12 Sep 2025 12:30 PM (IST)

    पितृ पक्ष (Pitru Paksha 2025) पूर्वजों को समर्पित 15 दिनों की पावन अवधि है। मान्यता है कि इस दौरान पूर्वज पृथ्वी पर आते हैं और सभी के कष्टों को दूर करते हैं। पितृ पक्ष को लेकर कई सारी कथाएं प्रचलित हैं जिनमें से आज हम देवी सीता के गाय को दिए गए श्राप के बारे में बताएंगे।

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    Pitru Paksha 2025: मां सीता ने किया था पिंडदान।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पितृ पक्ष हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण समय होता है, जो 15 दिनों तक चलता है। यह समय पूर्वजों को समर्पित है। इस दौरान लोग अपने पितरों की आत्मा की शांति और मुक्ति के लिए कई तरह के धार्मिक अनुष्ठान करते हैं। पितृ पक्ष को श्राद्ध पक्ष भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस अवधि (Pitru Paksha 2025) में हमारे पूर्वज पृथ्वी लोक पर आते हैं और अपने वंशजों द्वारा किए गए तर्पण और श्राद्ध को स्वीकार करते हैं।

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    वहीं, इस समय को लेकर एक पौराणिक कथा प्रचलित है, जिसमें मां सीता के गाय के श्राप के बारे में बताया गया है, तो आइए इस आर्टिकल में इस कथा को पढ़ते हैं।

    श्राप के पीछे की कहानी

    वाल्मीकि रामायण के अनुसार, भगवान राम और लक्ष्मण, राजा दशरथ के श्राद्ध के लिए आवश्यक सामग्री जुटाने बाहर गए थे। माता सीता श्राद्ध की रस्मों के लिए फल्गु नदी के किनारे बैठी थीं। तभी उन्होंने महसूस किया कि राजा दशरथ की आत्मा उन्हें पुकार रही है और पिंड दान का समय भी निकला जा रहा है। देवी सीता ने सोचा कि अगर वह इस समय श्राद्ध नहीं करती हैं, तो यह उनके पिता की आत्मा के लिए सही नहीं होगा।

    प्रभु श्रीराम और लक्ष्मण जी के लौटने का इंतजार करने की बजाय, माता सीता ने वहीं पर मौजूद कुछ चीजों को इकट्ठा किया और अपने ससुर राजा दशरथ जी का श्राद्ध करने का निर्णय लिया।

    जब राम जी और लक्ष्मण जी लौटे, तो उन्होंने सीता मां से पूछा कि क्या उन्होंने श्राद्ध किया? तब देवी ने हां कहा और उन्होंने गवाह के तौर पर पांचों चीजों का नाम लिया। राम ने जब इन गवाहों से पूछा? तो सभी ने गाय को छोड़कर, सच बोला। गाय ने लालच में आकर झूठ बोला और कहा कि सीता जी ने श्राद्ध नहीं किया।

    तब क्रोधित होकर, माता सीता ने गाय को श्राप दिया कि उनका मुख हमेशा झूठा रहेगा और वह जूठन खाएंगी। इसी कारण आज भी गाय का मुंह हमेशा नीचे की ओर रहता है और वे जूठन खाती है। वहीं, वट वृक्ष, फल्गु नदी समेत अन्य साक्षियों को आज भी सम्मान दिया जाता है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।