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    Mata Sita Shrap: झूठ बोलने के कारण इन सभी को झेलना पड़ा था माता सीता का क्रोध, आज भी भुगत रहे हैं श्राप

    Updated: Fri, 04 Oct 2024 04:54 PM (IST)

    रामायण को हिंदू धर्म के प्रमुख धार्मिक ग्रंथों में शामिल किया जाता है। इसमें वर्णित पौराणिक कथाएं ज्ञान का भंडार हैं जो सभी लोगों को प्रेरणा देने का काम करती हैं। ऐसे में आज हम आपको रामायण में वर्णित एक ऐसी कथा बताने जा रहे हैं जिसमें झूठ बोलने पर इन सभी को माता सीता के क्रोध का सामना करना पड़ा था।

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    Mata Sita Shrap झूठ बोलने के कारण इन्हें झेलना पड़ा था माता सीता का श्राप।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। रामायण से संबंधित कई कथाएं पढ़ने और सुनने को मिलती हैं। माता सीता, रामायण ग्रंथ के प्रमुख पात्रों में से एक हैं।  जिन्हें भगवान श्रीराम की पत्नी के रूप में वर्णित किया गया है। ऐसे में चलिए जानते हैं माता सीता से जुड़ी एक ऐसी कथा, जिसमें यह बताया गया है कि माता सीता का श्राप किन लोगों को आज भी झेलना पड़ रहा है।

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    माता सीता ने लिया यह निर्णय

    वाल्मीकि रामायण के मुताबिक, जब वनवास के दौरान प्रभु श्री राम को अपने पिता अर्थात राजा दशरथ की मृत्यु का पता चला, तो वह उनका पिंडदान करने के लिए बिहार के गया धाम पहुंचे। इस दौरान भगवान राम और लक्ष्मण पिंडदान की तैयारी के लिए सामग्री एकत्रित करने चले गए। इस दौरान राजा दशरथ की आत्मा ने माता सीता से आकर कहा कि पिंडदान का समय निकल रहा है और अगर सही समय पर पिंडदान न किया गया, तो इससे मुझे मुक्ति नहीं मिलेगी। लेकिन उस समय वहां पर भगवान राम उपस्थित नहीं थे, जिस कारण माता सीता ने खुद ही पिंडदान करने का निर्णय लिया।

    इन्हे बनाया साक्षी

    राजा दशरथ के पिंडदान के दौरान माता सीता ने तट पर मौजूद ब्राह्मण, गाय, वटवृक्ष, कौवे और फल्गु नदी को इसका साक्षी बनाया। राजा दशरथ ने माता सीता का पिंड दान स्वीकार किया और वह तृप्त होकर पितृ लोक को चले गए। इस दौरान जब भगवान राम और लक्ष्मण लौटे तो सीता जी ने उन्हें सारी बात बताई। लेकिन यह सुनकर राम और लक्ष्मण को बहुत ही आश्चर्य हुआ। तब सीता जी ने उन सभी साक्षी को गवाही के लिए बुलाया, जिसमें से केवल वटवृक्ष ने सत्य कहा। लेकिन अन्य सभी साक्षी इस बात से मुकर गए और कहने लगे कि उन्हें इस विषय में कोई जानकारी नहीं है। फल्गु नदी गए और केतकी ने  दिया कि उन्हें इस बारे में कुछ भी नहीं पता।

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    मिला यह श्राप

    चारों गवाहों के झूठ बोलने से माता सीता बहुत क्रोधित हुईं और उन्होंने सभी को श्राप दे दिया। जिसमें से फल्गु नदी को श्राप दिया कि एक समय बाद उसमें पानी नहीं रहेगा। इसी कारण से गया में मौजूद फल्गु नदी आज भी सूखी है। वहीं गाय को यह श्राप मिला की पूजनीय होने के बाद भी वह खाने के लिए दर बदर भटकेगी, जिसे आज हम सच होते हुए देखते हैं। वहीं माता सीता ने ब्राह्मण को यह श्राप दिया कि उसे कितना भी मिले, लेकिन फिर भी उसके यहां हमेशा दरिद्रता बनी रहेगी। इसी के साथ कौए को यह श्राप मिला कि अकेले खाने से उसका पेट नहीं भरेगा और उसकी आकस्मिक मृत्यु होगी।

    वटवृक्ष को मिला आशीर्वाद

    इन सभी साक्षी में से केवल वटवृक्ष के सत्य बोला था। जिससे माता सीता उससे प्रसन्न हुई और उसे यह आशीर्वाद दिया कि उसे लंबी आयु मिलेगी। इसी के साथ पतिव्रता स्त्री उनका स्मरण करके अपने पति के दीर्घायु की कामना करेंगी।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।