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    Masik Shivratri 2024: भगवान शिव की पूजा के समय करें इस चमत्कारी स्तोत्र का पाठ, मिलेगा मनचाहा वर

    शिव पुराण में निहित है कि मासिक शिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा करने से व्यक्ति को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त दुख और संकट दूर हो जाते हैं। अतः स्त्री एवं पुरुष दोनों मासिक शिवरात्रि पर विधि-विधान से भगवान शिव की पूजा करें। भगवान शिव की कृपा पाने के लिए मासिक शिवरात्रि पर विधिपूर्वक भगवान शिव की पूजा करें।

    By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Sun, 05 May 2024 05:58 PM (IST)
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    Masik Shivratri 2024: भगवान शिव की पूजा के समय करें इस चमत्कारी स्तोत्र का पाठ

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Masik Shivratri 2024: हर माह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है। तदनुसार, वैशाख माह में मासिक शिवरात्रि 06 मई को है। इस दिन भगवान शिव एवं मां पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही शिवरात्रि का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को स्त्री और पुरुष दोनों कर सकते हैं। शिव पुराण में निहित है कि मासिक शिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा करने से व्यक्ति को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त दुख और संकट दूर हो जाते हैं। अतः स्त्री एवं पुरुष दोनों मासिक शिवरात्रि पर विधि-विधान से भगवान शिव की पूजा करें। अगर आप भी भगवान शिव की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो मासिक शिवरात्रि पर विधिपूर्वक भगवान शिव की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय इस चमत्कारी स्तोत्र का पाठ करें।

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    श्री शिव अष्टकम

    प्रभुं प्राणनाथं विभुं विश्वनाथं जगन्नाथ नाथं सदानन्द भाजाम् ।

    भवद्भव्य भूतेश्वरं भूतनाथं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे ॥

    गले रुण्डमालं तनौ सर्पजालं महाकाल कालं गणेशादि पालम् ।

    जटाजूट गङ्गोत्तरङ्गै र्विशालं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे ॥

    मुदामाकरं मण्डनं मण्डयन्तं महा मण्डलं भस्म भूषाधरं तम् ।

    अनादिं ह्यपारं महा मोहमारं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे ॥

    वटाधो निवासं महाट्टाट्टहासं महापाप नाशं सदा सुप्रकाशम् ।

    गिरीशं गणेशं सुरेशं महॆशं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे ॥

    गिरीन्द्रात्मजा सङ्गृहीतार्धदेहं गिरौ संस्थितं सर्वदापन्न गेहम् ।

    परब्रह्म ब्रह्मादिभिर्-वन्द्यमानं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे ॥

    कपालं त्रिशूलं कराभ्यां दधानं पदाम्भोज नम्राय कामं ददानम् ।

    बलीवर्धमानं सुराणां प्रधानं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे ॥

    शरच्चन्द्र गात्रं गणानन्दपात्रं त्रिनेत्रं पवित्रं धनेशस्य मित्रम् ।

    अपर्णा कलत्रं सदा सच्चरित्रं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे ॥

    हरं सर्पहारं चिता भूविहारं भवं वेदसारं सदा निर्विकारं।

    श्मशानॆ वसन्तं मनोजं दहन्तं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे ॥

    स्वयं यः प्रभाते नरश्शूल पाणे पठेत् स्तोत्ररत्नं त्विहप्राप्यरत्नम् ।

    सुपुत्रं सुधान्यं सुमित्रं कलत्रं विचित्रैस्समाराध्य मोक्षं प्रयाति ॥

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    डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।