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    Masik Shivratri 2024: वैशाख माह में कब रखा जाएगा मासिक शिवरात्रि का व्रत? यहां जानिए पूजन नियम

    मासिक शिवरात्रि (Masik Shivratri 2024) के व्रत का विशेष महत्व है। यह दिन देवों के देव महादेव की पूजा के लिए समर्पित है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन का उपवास रखने से भगवान शंकर खुश होते हैं। साथ ही अपने भक्तों की सभी इच्छा पूरी करते हैं। अगर आप भी भोलेनाथ की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं तो आपको इस व्रत को रखना चाहिए।

    By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Mon, 29 Apr 2024 02:37 PM (IST)
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    Masik Shivratri 2024: वैशाख माह मासिक शिवरात्रि डेट और पूजा विधि

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Masik Shivratri 2024: मासिक शिवरात्रि व्रत को बेहद शुभ माना जाता है। वैशाख माह में पड़ने वाली मासिक शिवरात्रि का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान शिव की पूजा होती है। इस दिन का उपवास करके भोलेनाथ को शीघ्र ही प्रसन्न किया जा सकता है। अगर आप भी देवों के देव महादेव की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो आपको इस कठिन व्रत का पालन करना चाहिए, तो आइए इस दिन के पूजन नियम को जानते हैं -

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    वैशाख माह मासिक शिवरात्रि, 2024 डेट

    वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत सोमवार 06 मई, 2024, दोपहर 02 बजकर 40 मिनट पर होगी। वहीं, इस तिथि का समापन अगले दिन मंगलवार 07 मई 2024, सुबह 11 बजकर 40 मिनट पर होगा। ऐसे में इस बार सोमवार, 06 मई 2024 को मासिक शिवरात्रि का व्रत रखा जाएगा, जिसका इंतजार शिव भक्तों को बेसब्री से है।

    वैशाख माह मासिक शिवरात्रि पूजा विधि

    इस शुभ अवसर पर भक्त प्रात: उठकर स्नान करें। इसके बाद भगवान शिव के सामने व्रत का संकल्प लें। एक वेदी स्थापित करें और उसे विधि अनुसार सजाएं। फिर शिव परिवार की प्रतिमा स्थापित करें। उनका पंचामृत से अभिषेक करें। शिव जी को सफेद चंदन का तिलक लगाएं। मां पार्वती को सिंदूर का तिलक लगाएं। गाय के घी का दीपक जलाएं। खीर का भोग लगाएं। सफेद फूलों की माला अर्पित करें। बेलपत्र पूजा में अवश्य शामिल करें।

    पूजा में हल्दी, तुलसी और केतकी के फूल का प्रयोग न करें। शिव चालीसा का पाठ करें। आरती से पूजा को पूर्ण करें। पूजा में हुई गलतियों के लिए क्षमा मांगे। अगले दिन सुबह शिव प्रसाद से अपने व्रत का पारण करें।

    इस दिन महामृत्युंजय मंत्र का करें जाप 

    ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।

    उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

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    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'