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    Vinayak chaturthi 2024: कब है मई माह की पहली चतुर्थी? ऐसे करें भगवान गणेश की पूजा

    विनायक चतुर्थी (Vinayak chaturthi 2024) का व्रत बेहद कल्याणकारी है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत का पालन करने से भगवान गणेश की कृपा मिलती है। साथ ही सभी चुनौतियों और बाधाओं का अंत होता है। इस बार यह व्रत 12 मई 2024 दिन रविवार को रखा जाएगा तो आइए इस दिन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों को जानते हैं -

    By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Mon, 29 Apr 2024 01:42 PM (IST)
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    Vinayak chaturthi 2024: विनायक चतुर्थी, 2024 पूजा विधि

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Vinayak chaturthi 2024: विनायक चतुर्थी का व्रत बेहद कल्याणकारी माना जाता है। यह दिन बुद्धि, ज्ञान और समृद्धि के देवता भगवान गणेश को समर्पित है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन बप्पा की आराधना करने से जीवन की सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं। यह दिन शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को पड़ता है। इस साल यह उपवास 12 मई, 2024 दिन रविवार को रखा जाएगा।

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    विनायक चतुर्थी, 2024 तिथि और शुभ मुहूर्त

    हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 11 मई, 2024 दिन शनिवार को प्रात: 02 बजकर 50 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इसका समापन अगले दिन 12 मई, 2024 प्रात: 02 बजकर 03 मिनट पर होगा। पंचांग को देखते हुए विनायक चतुर्थी का व्रत 12 मई को रखा जाएगा।

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    विनायक चतुर्थी, 2024 पूजा विधि

    • सुबह उठकर भक्त पवित्र स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
    • एक लकड़ी की चौकी को साफ करें और उसपर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करें।
    • प्रतिमा को गंगाजल से साफ करें।
    • पीले सिंदूर का तिलक लगाएं।
    • पीले फूलों की माला अर्पित करें।
    • मोदक का भोग लगाएं।
    • देसी घी का दीपक जलाएं।
    • वैदिक मंत्रों से बप्पा का आह्वान करें और विधि अनुसार पूजा करें।
    • संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा का पाठ करें।
    • पूजा का समापन आरती से करें।
    • भक्त भगवान को चढ़ाए गए प्रसाद से अपना व्रत खोलें।
    • ध्यान रहे गणेश जी की पूजा में तुलसी पत्र का उपयोग न करें।

    गणेश गायत्री मंत्र

    ॐ एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

    ॐ महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

    ॐ गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

    गणेश जी पूजन मंत्र

    श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा ॥

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    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'