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Masik Durgashtami 2024: मासिक दुर्गाष्टमी पर जरूर करें इस स्तोत्र का पाठ, दूर होंगे सभी दुख-संताप

हिंदू पंचांग के अनुसार हर महीने की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि मां दुर्गा की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित मानी जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन पर व्रत करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं। ऐसे में चलिए जानते हैं मासिक दुर्गाष्टमी पर देवी दुर्गा की कृपा प्राप्ति के उपाय।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Tue, 11 Jun 2024 06:13 PM (IST)
Masik Durgashtami 2024: मासिक दुर्गाष्टमी पर जरूर करें इस स्तोत्र का पाठ, दूर होंगे सभी दुख-संताप
Masik Durgashtami 2024 मासिक दुर्गाष्टमी पर जरूर करें इस स्तोत्र का पाठ।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू पंचांग के मुताबिक, हर माह में शुक्ल पक्ष में आने वाली अष्टमी तिथि पर मासिक दुर्गाष्टमी मनाई जाती है। कई साधक मां दुर्गा की कृपा प्राप्ति के लिए इस दिन व्रत भी करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस तिथि पर माता दुर्गा की विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना करने से साधक के जीवन में आ रही परेशानियों दूर हो सकती हैं। ऐसे में आप मासिक दुर्गाष्टमी की पूजा के दौरान सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं। इससे आपको देवी की विशेष कृपा प्राप्त हो सकती है।

मासिक दुर्गाष्टमी तिथि (Masik Durgashtami Tithi)

ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 13 जून 2024 को रात 08 बजकर 03 मिनट पर हो रही है। वहीं, इस तिथि का समापन 14 जून को रात 10 बजकर 33 मिनट पर होने जा रहा है। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत 14 जून, शुक्रवार के दिन किया जाएगा।

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र (Siddh Kunjika Stotram)

॥सिद्धकुञ्जिकास्तोत्रम्॥

शृणु देवि प्रवक्ष्यामि, कुञ्जिकास्तोत्रमुत्तमम्।

येन मन्त्रप्रभावेण चण्डीजापः शुभो भवेत॥१॥

न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम्।

न सूक्तं नापि ध्यानं च न न्यासो न च वार्चनम्॥२॥

कुञ्जिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत्।

अति गुह्यतरं देवि देवानामपि दुर्लभम्॥३॥

गोपनीयं प्रयत्‍‌नेन स्वयोनिरिव पार्वति।

मारणं मोहनं वश्यं स्तम्भनोच्चाटनादिकम्।

पाठमात्रेण संसिद्ध्येत् कुञ्जिकास्तोत्रमुत्तमम्॥४॥

॥अथ मन्त्रः॥

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे॥

ॐ ग्लौं हुं क्लीं जूं सः ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा॥

॥इति मन्त्रः॥

नमस्ते रूद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि।

नमः कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषार्दिनि॥१॥

नमस्ते शुम्भहन्त्र्यै च निशुम्भासुरघातिनि॥२॥

जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरूष्व मे।

ऐंकारी सृष्टिरूपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका॥३॥

क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोऽस्तु ते।

चामुण्डा चण्डघाती च यैकारी वरदायिनी॥४॥

विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मन्त्ररूपिणि॥५॥

धां धीं धूं धूर्जटेः पत्‍‌नी वां वीं वूं वागधीश्‍वरी।

क्रां क्रीं क्रूं कालिका देवि शां शीं शूं मे शुभं कुरु॥६॥

हुं हुं हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी।

भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै ते नमो नमः॥७॥

अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं

धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा॥

पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा॥८॥

सां सीं सूं सप्तशती देव्या मन्त्रसिद्धिं कुरुष्व मे॥

इदं तु कुञ्जिकास्तोत्रं मन्त्रजागर्तिहेतवे।

अभक्ते नैव दातव्यं गोपितं रक्ष पार्वति॥

यस्तु कुञ्जिकाया देवि हीनां सप्तशतीं पठेत्।

न तस्य जायते सिद्धिररण्ये रोदनं यथा॥

इति श्रीरुद्रयामले गौरीतन्त्रे शिवपार्वतीसंवादे कुञ्जिकास्तोत्रं सम्पूर्णम्।

॥ॐ तत्सत्॥

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।