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    Krishnapingal Chaturthi 2024: कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी पर इस विधि से करें गणेश जी की पूजा, सभी विघ्न होंगे दूर

    चतुर्थी तिथि का व्रत जीवन के सभी विघ्नों को दूर करने के लिए किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि चतुर्थी तिथि पर गणपति बप्पा की विधिपूर्वक उपासना करने से जातक की सभी मुरादें पूरी होती हैं और प्रभु प्रसन्न होते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी (Krishnapingal Chaturthi 2024) का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में।

    By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Tue, 11 Jun 2024 05:21 PM (IST)
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    Krishnapingal Chaturthi 2024: कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी पर इस विधि से करें गणेश जी की पूजा, सभी विघ्न होंगे दूर

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली।Kab Hai Krishnapingal Sankashti Chaturthi 2024: हर माह में 2 बार चतुर्थी व्रत किया जाता है। यह तिथि भगवान शिव के पुत्र गणपति बप्पा को समर्पित है। आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इस वर्ष यह पर्व 25 जून को पड़ रहा है। इस शुभ तिथि पर भगवान गणेश जी की पूजा की जाती है। 

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    कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी 2024 डेट और शुभ मुहूर्त (Krishnapingal Sankashti Chaturthi 2024 Date and Shubh Muhurat)

    पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 25 जून को देर रात 01 बजकर 23 मिनट पर होगी। वहीं, इसका समापन 25 जून को रात 11 बजकर 10 मिनट पर होगा। ऐसे में 25 जून को कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी का पर्व मनाया जाएगा।

    कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि (Krishnapingal Sankashti Chaturthi Puja Vidhi)

    • संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह स्नान करने के बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें।
    • इसके बाद मंदिर की सफाई करें और गंगाजल का छिड़काव कर शुद्ध करें।
    • अब एक चौकी पर लाल लपड़ा बिछाकर भगवान गणेश की प्रतिमा विराजमान करें।
    • उन्हें दूर्वा घास और तिलक अर्पित करें।
    • इसके बाद देशी घी का दीपक जलाएं और आरती करें।
    • मंत्रों का जप और गणेश चालीसा का पाठ करें।
    • प्रभु को मोदक, फल और मिठाई का भोग लगाएं।
    • जीवन में सुख-शांति के लिए प्रभु से विनती करें।
    • अंत में लोगों में प्रसाद का वितरण करें और श्रद्धा अनुसार विशेष चीजों का दान करें।

    गणेश गायत्री मंत्र

    • ॐ एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥
    • ॐ महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥
    • ॐ गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।