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    Masik Durgashtami 2023: मासिक दुर्गाष्टमी पर करें दुर्गा चालीसा का पाठ, घर में खुशियों का होगा आगमन

    By Jagran NewsEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Mon, 18 Dec 2023 12:27 PM (IST)

    हर माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मासिक दुर्गाष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस बार मासिक दुर्गाष्टमी 20 दिसंबर 2023 को है। धार्मिक मत के अनुसार दुर्गाष्टमी के अवसर पर मां दुर्गा की पूजा-व्रत करने से साधक को शुभ फल की प्राप्ति होती है और घर में खुशियों का आगमन होता है। इसके अलावा धन का लाभ मिलता है।

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    Masik Durgashtami 2023: मासिक दुर्गाष्टमी के दिन करें दुर्गा चालीसा का पाठ, घर में खुशियों का होगा आगमन

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Masik Durgashtami 2023: हर माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मासिक दुर्गाष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस बार मासिक दुर्गाष्टमी 20 दिसंबर 2023 को है। धार्मिक मत के अनुसार, दुर्गाष्टमी के अवसर पर मां दुर्गा की पूजा-व्रत करने से साधक को शुभ फल की प्राप्ति होती है और घर में खुशियों का आगमन होता है। इसके अलावा धन का लाभ मिलता है। मान्यता है कि दुर्गाष्टमी के दिन पूजा के दौरान दुर्गा चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को जीवन की समस्त परेशानियों से छुटकारा मिलता है। इसके अलावा घर में सुख-शांति का वास होता है। दुर्गाष्टमी के दिन पूजा के दौरान दुर्गा चालीसा का पाठ करें और अंत में आरती करें। ऐसा करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और जीवन के कष्ट दूर होते हैं। इसके अलावा धन में बढ़ोतरी होती है। तो चलिए पढ़ते हैं दुर्गा चलीसा

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    श्री दुर्गा चालीसा

    नमो नमो दुर्गे सुख करनी । नमो नमो अम्बे दुःख हरनी ॥

    निरंकार है ज्योति तुम्हारी । तिहूँ लोक फैली उजियारी ॥

    शशि ललाट मुख महाविशाला । नेत्र लाल भृकुटी बिकराला ॥

    रूप मातु को अधिक सुहावे ।दरश करत जन अति सुख पावे ॥

    तुम संसार शक्ति लय कीना । पालन हेतु अन्न धन दीना ॥

    अन्नपूर्णा तुम जग पाला । तुम ही आदि सुन्दरी बाला ॥

    प्रलयकाल सब नाशनहारी । तुम गौरी शिवशंकर प्यारी ॥

    शिव योगी तुम्हरे गुन गावें । ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें ॥

    रूप सरस्वती का तुम धारा । दे सुबुधि ऋषि-मुनिन उबारा ॥

    धर्‍यो रूप नरसिंह को अम्बा । परगट भईं फाड़ कर खम्बा ॥

    रक्षा करि प्रहलाद बचायो । हिरनाकुश को स्वर्ग पठायो ॥

    लक्ष्मी रूप धरो जग जानी । श्री नारायण अंग समानी ॥

    क्षीरसिन्धु में करत बिलासा । दयासिन्धु दीजै मन आसा ॥

    हिंगलाज में तुम्हीं भवानी । महिमा अमित न जात बखानी ॥

    मातंगी धूमावति माता । भुवनेश्वरि बगला सुखदाता ॥

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    श्री भैरव तारा जग-तारिणि । छिन्न-भाल भव-दुःख निवारिणि ॥

    केहरि वाहन सोह भवानी । लांगुर वीर चलत अगवानी ॥

    कर में खप्पर-खड्‍ग बिराजै । जाको देख काल डर भाजै ॥

    सोहै अस्त्र विविध त्रिशूला । जाते उठत शत्रु हिय शूला ॥

    नगरकोट में तुम्हीं बिराजत । तिहूँ लोक में डंका बाजत ॥

    शुम्भ निशुम्भ दैत्य तुम मारे । रक्तबीज-संखन संहारे ॥

    महिषासुर दानव अभिमानी । जेहि अघ भार मही अकुलानी ॥

    रूप कराल कालिका धारा । सेन सहित तुम तेहि संहारा ॥

    परी गाढ़ सन्तन पर जब-जब । भई सहाय मातु तुम तब तब ॥

    अमर पुरी अरू बासव लोका । तव महिमा सब रहें अशोका ॥

    ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी । तुम्हें सदा पूजें नर-नारी ॥

    प्रेम भक्ति से जो यश गावै । दुख-दारिद्र निकट नहिं आवै ॥

    ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई । जन्म-मरण ता कौ छुटि जाई ॥

    योगी सुर-मुनि कहत पुकारी । योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी ॥

    शंकर आचारज तप कीनो । काम-क्रोध जीति तिन लीनो ॥

    निशिदिन ध्यान धरो शंकर को । अति श्रद्धा नहिं सुमिरो तुमको ॥

    शक्ति रूप को मरम न पायो । शक्ति गई तब मन पछितायो ॥

    शरणागत ह्‍वै कीर्ति बखानी । जय जय जय जगदम्ब भवानी ॥

    भई प्रसन्न आदि जगदम्बा । दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा ॥

    मोको मातु कष्ट अति घेरो । तुम बिन कौन हरे दुख मेरो ॥

    आशा तृष्णा निपट सतावैं । मोह-मदादिक सब बिनसावैं ॥

    शत्रु नाश कीजै महरानी । सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी ॥

    करहु कृपा हे मातु दयाला । ऋद्धि-सिद्धि दै करहु निहाला ॥

    जब लग जिओं दया फल पावौं । तुम्हरो यश मैं सदा सुनावौं ॥

    दुर्गा चालीसा जो कोई गावै । सब सुख भोग परमपद पावै ॥

    देवीदास शरण निज जानी । करहु कृपा जगदम्ब भवानी ॥

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    ॥इति श्रीदुर्गा चालीसा समाप्त ॥

    Author- Kaushik Sharma

    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'