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    Margashirsha Purnima 2023: पूर्णिमा के दिन भगवान सत्यनारायण की इस विधि से करें पूजा, जानें इसका महत्व

    By Vaishnavi DwivediEdited By: Vaishnavi Dwivedi
    Updated: Mon, 25 Dec 2023 11:51 AM (IST)

    Margashirsha Purnima 2023 पूर्णिमा के दिन भगवान सत्यनारायण की विधि अनुसार पूजा करनी चाहिए। साथ ही किसी भी मंदिर जाकर भगवान विष्णु का दर्शन करना चाहिए। लोग इस दिन कई सारी धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियां करते हैं। कई भक्त भगवान को प्रसन्न करने के लिए सत्यनारायण व्रत का पालन भी करते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ऐसा माना जाता है कि पूर्णिमा के दिन चंद्रमा पूर्ण रूप में होते हैं।

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    Margashirsha Purnima 2023: सत्यनारायण पूजा का महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली।Margashirsha Purnima 2023: मार्गशीर्ष पूर्णिमा का सनातन धर्म में बेहद महत्व है। इस माह साल की अंतिम पूर्णिमा मनाई जाएगी, जो कि कल यानी 26 दिसंबर 2023 को पड़ रही है। इस पवित्र दिन पर भगवान सत्यनारायण की विशेष पूजा का विधान है।

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    प्राचीन काल से ही इस दिन सत्यनारायण कथा और पूजा की परंपरा है। ऐसे में आज हम इस दिन को लेकर कुछ महत्वपूर्ण बातें साझा करेंगे। तो आइए जानते हैं -

    सत्यनारायण पूजा का महत्व

    मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण पूजा का धार्मिक महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस शुभ दिन पर भगवान सत्यनारायण की विधि अनुसार पूजा करनी चाहिए। साथ ही किसी भी मंदिर जाकर भगवान विष्णु का दर्शन करना चाहिए। लोग इस दिन कई सारी धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियां करते हैं। कई भक्त भगवान को प्रसन्न करने के लिए सत्यनारायण व्रत का पालन भी करते हैं।

    ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि पूर्णिमा के दिन चंद्रमा पूर्ण रूप और बहुत ही प्रसन्न अवस्था में होते हैं। इस दिन को संरक्षक दिवस भी कहा जाता है, जो भक्त इस दिन चंद्रमा को जल, फूल और मिठाई चढ़ाकर पूजा करते हैं। उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

    सत्यनारायण पूजा नियम

    • सुबह उठकर पवित्र स्नान करें।
    • भगवान विष्णु, भगवान कृष्ण, लड्डू गोपाल जी की मूर्ति, और भगवान सत्यनारायण की प्रतिमा स्थापित करें।
    • उन्हें पंचामृत से स्नान कराएं।
    • गोपी चंदन या हल्दी का तिलक लगाएं।
    • उनके सामने देसी घी का दीया जलाएं।
    • पीले फूलों की माला और मिठाई जो घर में बनी हो अर्पित करें।
    • पंचामृत और पंजीरी का प्रसाद भगवान सत्यनारायण को अवश्य चढ़ाएं।
    • प्रसाद में तुलसी पत्र अवश्य शामिल करें।
    • सत्यनारायण व्रत कथा का पाठ करें या फिर सुनें।
    • विष्णु सहस्रनाम, श्री हरि स्तोत्र का भी पाठ कर सकते हैं।
    • भगवान विष्णु की आरती करें और उनका आशीर्वाद लें।
    • व्रत रखने वाले लोग शाम को भगवान चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही अपना व्रत खोलें।
    • भगवान चंद्रमा को जल, फूल और मिठाई चढ़ाकर उनका आशीर्वाद लें।

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    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'