Margashirsha Amavasya 2024: एक क्लिक में पढ़ें मार्गशीर्ष अमावस्या का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि समेत अन्य महत्वपूर्ण जानकारी
सनातन धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है। इस तिथि को पितरों को प्रसन्न करने के लिए शुभ माना जाता है लेकिन इस तिथि पर शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं। इस बार मार्गशीर्ष अमावस्या आज यानी 01 दिसंबर को मार्गशीर्ष अमावस्या मनाई जा रही है। ऐसे में चलिए जानते हैं मार्गशीर्ष अमावस्या (Margashirsha Amavasya 2024) का शुभ मुहूर्त पूजा विधि समेत आदि जानकारी के बारे में।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पंचांग के अनुसार, आज यानी 01 दिसंबर (Kab Hai Margashirsha Amavasya 2024) को मार्गशीर्ष अमावस्या मनाई जा रही है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी के संग पितरों की पूजा-अर्चना करने से पितृ दोष से छुटकारा मिलता है और जातक को पूर्वजों की कृपा प्राप्त होती है।
मार्गशीर्ष अमावस्या 2024 डेट और टाइम (Margashirsha Amavasya 2024 Date and Time)
पंचांग के अनुसार, इस साल मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि की शुरूआत 30 नवंबर, 2024 दिन शनिवार को सुबह 10 बजकर 29 मिनट से हो गई है। वहीं, इस तिथि का समापन 1 दिसंबर, 2024 को रविवार को सुबह 11 बजकर 50 मिनट पर होगा। ऐसे में आज यानी 1 दिसंबर को मार्गशीर्ष अमावस्या मनाई जा रही है।
ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 05 बजकर 08 मिनट से 06 बजकर 02 मिनट तक
विजय मुहूर्त - दोपहर 01 बजकर 55 मिनट से 02 बजकर 37 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 21 मिनट से 05 बजकर 48 मिनट तक
अमृत काल- 02 दिसंबर को सुबह 06 बजकर 27 मिनट से 08 बजकर 09 मिनट तक।
पूजा थाली में शामिल करें ये भोग (Lord Vishnu Favourite Bhog)
मार्गशीर्ष अमावस्या की पूजा थाली में भगवान विष्णु के प्रिय भोग शामिल करने चाहिए। माना जाता है कि भोग अर्पित करने से श्रीहरि प्रसन्न होते हैं और पितरों की कृपा प्राप्त होती है। पूजा थाली में खीर, हलवा, दूध, दही, फल धनिया की पंजीरी और पंचामृत समेत आदि चीजों को शामिल किया जा सकता है।
मार्गशीर्ष अमावस्या पूजा विधि (Margashirsha Amavasya Puja Vidhi)
मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठें और दिन की शुरुआत देवी-देवता के ध्यान से करें। स्नान कर सूर्य देव को जल अर्पित करें। इस दौरान सूर्य देव के मंत्रो का जप करें। घर और मंदिर की सफाई करें। इसके बाद चौकी पर साफ कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की मूर्ति विराजमान करें। फूल और धूप चढ़ाएं। मां लक्ष्मी को सोलह श्रृंगार चढ़ाएं। देसी घी का दीपक जलाकर आरती करें और मंत्रों जप करें। इसके बाद फल, दूध, मिठाई समेत आदि चीजों का भोग लगाएं। अंत में लोगों में प्रसाद का वितरण करें।
पितृ मंत्र
1. ॐ पितृ देवतायै नम:
2. ॐ पितृ गणाय विद्महे जगतधारिणे धीमहि तन्नो पित्रो प्रचोदयात्।
3. ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च
नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:
पितृ देव की आरती (Pitru Dev Aarti)
जय जय पितर जी महाराज,
मैं शरण पड़ा तुम्हारी,
शरण पड़ा हूं तुम्हारी देवा,
रख लेना लाज हमारी,
जय जय पितृ जी महाराज, मैं शरण पड़ा तुम्हारी।।
आप ही रक्षक आप ही दाता,
आप ही खेवनहारे,
मैं मूरख हूं कछु नहिं जानू,
आप ही हो रखवारे,
जय जय पितृ जी महाराज, मैं शरण पड़ा तुम्हारी।।
आप खड़े हैं हरदम हर घड़ी,
करने मेरी रखवारी,
हम सब जन हैं शरण आपकी,
है ये अरज गुजारी,
जय जय पितृ जी महाराज, मैं शरण पड़ा तुम्हारी।।
देश और परदेश सब जगह,
आप ही करो सहाई,
काम पड़े पर नाम आपके,
लगे बहुत सुखदाई,
जय जय पितृ जी महाराज, मैं शरण पड़ा तुम्हारी।।
भक्त सभी हैं शरण आपकी,
अपने सहित परिवार,
रक्षा करो आप ही सबकी,
रहूं मैं बारम्बार,
जय जय पितृ जी महाराज, मैं शरण पड़ा तुम्हारी।।
जय जय पितर जी महाराज,
मैं शरण पड़ा हू तुम्हारी,
शरण पड़ा हूं तुम्हारी देवा,
रखियो लाज हमारी,
जय जय पितृ जी महाराज, मैं शरण पड़ा तुम्हारी।।
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