Margashirsha Amavasya पर पितरों को ऐसे करें प्रसन्न, दुख और संकट से मिलेगी मुक्ति
पंचांग के अनुसार इस साल मार्गशीर्ष अमावस्या 1 दिसंबर (Margashirsha Amavasya 2024 Date) को मनाई जाएगी। इस दिन गंगा समेत पवित्र नदियों में स्नान-ध्यान किया जाता है। साथ ही गरीबों में दान करने का विधान है। शास्त्रों में वर्णित है कि मार्गशीर्ष अमावस्या पर गंगा स्नान और दान करने से जातक को सभी पाप से मुक्ति मिलती है और जीवन खुशहाल होता है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में हर महीने में अमावस्या मनाई जाती है। इस दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु और पितरों की पूजा-अर्चना की जाती है। धार्मिक मत है कि उपासना करना से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और साधक पर उनकी कृपा सदैव बनी रहती है। अगर आप भी पितृ देव को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो मार्गशीर्ष अमावस्या पर विधिपूर्वक पूजा करें और पितृ स्तोत्र एवं पितृ कवच का पाठ करें। धार्मिक मान्यता है कि इसका पाठ करने से पितृ दोष से छुटकारा मिलता है और जातक को सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है। आइए पढ़ते हैं पितृ स्तोत्र और पितृ कवच।
मार्गशीर्ष अमावस्या 2024 शुभ मुहूर्त (Margashirsha Amavasya 2024 Shubh)
पंचांग के अनुसार, इस साल 30 नवंबर, 2024 दिन शनिवार को सुबह 10 बजकर 29 मिनट से मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि की शुरूआत होगी। वहीं, इसका समापन 1 दिसंबर, 2024 को रविवार को सुबह 11 बजकर 50 मिनट पर होगा। पंचांग को देखते हुए इस साल मार्गशीर्ष अमावस्या 1 दिसंबर, 2024 दिन रविवार (Margashirsha Amavasya Kab Hai) को मनाई जाएगी।
।।पितृ स्तोत्र।।
अर्चितानाममूर्तानां पितृणां दीप्ततेजसाम् ।
नमस्यामि सदा तेषां ध्यानिनां दिव्यचक्षुषाम् ।।
इन्द्रादीनां च नेतारो दक्षमारीचयोस्तथा ।
सप्तर्षीणां तथान्येषां तान् नमस्यामि कामदान् । ।
मन्वादीनां च नेतार: सूर्याचन्दमसोस्तथा ।
तान् नमस्यामहं सर्वान् पितृनप्युदधावपि ।।
नक्षत्राणां ग्रहाणां च वाय्वग्न्योर्नभसस्तथा।
द्यावापृथिवोव्योश्च तथा नमस्यामि कृताञ्जलि: ।।
देवर्षीणां जनितृंश्च सर्वलोकनमस्कृतान् ।
अक्षय्यस्य सदा दातृन् नमस्येहं कृताञ्जलि: ।।
प्रजापते: कश्पाय सोमाय वरुणाय च ।
योगेश्वरेभ्यश्च सदा नमस्यामि कृताञ्जलि: ।।
नमो गणेभ्य: सप्तभ्यस्तथा लोकेषु सप्तसु ।
स्वयम्भुवे नमस्यामि ब्रह्मणे योगचक्षुषे ।।
सोमाधारान् पितृगणान् योगमूर्तिधरांस्तथा ।
नमस्यामि तथा सोमं पितरं जगतामहम् ।।
अग्रिरूपांस्तथैवान्यान् नमस्यामि पितृनहम् ।
अग्रीषोममयं विश्वं यत एतदशेषत: ।।
ये तु तेजसि ये चैते सोमसूर्याग्रिमूर्तय: ।
जगत्स्वरूपिणश्चैव तथा ब्रह्मस्वरूपिण: ।।
तेभ्योखिलेभ्यो योगिभ्य: पितृभ्यो यतामनस: ।
नमो नमो नमस्तेस्तु प्रसीदन्तु स्वधाभुज ।।
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।।पितृ कवच।।
पितृ दोष निवारण के लिए इस कवच का रोजाना जाप करना चाहिए।
कृणुष्व पाजः प्रसितिम् न पृथ्वीम् याही राजेव अमवान् इभेन।
तृष्वीम् अनु प्रसितिम् द्रूणानो अस्ता असि विध्य रक्षसः तपिष्ठैः॥
तव भ्रमासऽ आशुया पतन्त्यनु स्पृश धृषता शोशुचानः।
तपूंष्यग्ने जुह्वा पतंगान् सन्दितो विसृज विष्व-गुल्काः॥
प्रति स्पशो विसृज तूर्णितमो भवा पायु-र्विशोऽ अस्या अदब्धः।
यो ना दूरेऽ अघशंसो योऽ अन्त्यग्ने माकिष्टे व्यथिरा दधर्षीत्॥
उदग्ने तिष्ठ प्रत्या-तनुष्व न्यमित्रान् ऽओषतात् तिग्महेते।
यो नोऽ अरातिम् समिधान चक्रे नीचा तं धक्ष्यत सं न शुष्कम्॥
ऊर्ध्वो भव प्रति विध्याधि अस्मत् आविः कृणुष्व दैव्यान्यग्ने।
अव स्थिरा तनुहि यातु-जूनाम् जामिम् अजामिम् प्रमृणीहि शत्रून्।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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