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    Pradosh Vrat 2025 Date: कब है मार्च माह का पहला प्रदोष व्रत? नोट करें शुभ मुहूर्त एवं योग

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Thu, 27 Feb 2025 05:23 PM (IST)

    प्रदोष व्रत के दिन देवों के देव महादेव (Pradosh Vrat 2025 Date) और मां पार्वती की पूजा करने से साधक के सुखों में वृद्धि होती है। साथ ही जीवन में मंगल का आगमन होता है। इस शुभ अवसर पर मंदिरों में देवों के देव महादेव और मां पार्वती की विशेष पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत रखा जाता है।

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    Pradosh Vrat 2025 Date: भगवान शिव को कैसे प्रसन्न करें?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Pradosh Vrat 2025 Date: प्रत्येक माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत मनाया जाता है। इस दिन देवों के देव महादेव और मां पार्वती की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है।

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    इस शुभ अवसर पर मंदिरों में भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है। साथ ही पूजा के समय भगवान शिव का जलाभिषेक किया जाता है। भगवान शिव जलाभिषेक से जल्द प्रसन्न हो जाते हैं। उनकी कृपा साधक पर बरसती है। इसीलिए साधक त्रयोदशी तिथि पर भक्ति भाव से भगवान शिव संग मां पार्वती की पूजा करते हैं। आइए, फाल्गुन माह के पहले प्रदोष व्रत के बारे में सबकुछ जानते हैं-

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    प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त (Pradosh Vrat Shubh Muhurat)

    वैदिक पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 11 मार्च को सुबह 08 बजकर 13 मिनट पर होगी। वहीं, त्रयोदशी तिथि का समापन 12 मार्च को सुबह 09 बजकर 11 मिनट पर होगा। त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा की जाती है। इसके लिए 11 मार्च को प्रदोष व्रत मनाया जाएगा। 11 मार्च को प्रदोष काल शाम 06 बजकर 27 मिनट से 08 बजकर 53 मिनट तक है। इस दौरान भगवान शिव की पूजा एवं अर्चना कर सकते हैं। साधक अपनी सुविधा अनुसार समय पर भगवान शिव संग मां पार्वती की पूजा कर सकते हैं।

    शुभ योग (Pradosh Vrat Shubh Yog)

    ज्योतिषियों की मानें तो मार्च माह के पहले प्रदोष व्रत पर दुर्लभ सुकर्मा और शिववास योग का संयोग बन रहा है। साथ ही अश्लेषा नक्षत्र का संयोग है। इन योग में भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होगी। इसके अलावा, सभी प्रकार के संकटों से भी मुक्ति मिलेगी।

    पंचांग

    • सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 35 मिनट पर
    • सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 27 मिनट पर
    • ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 58 मिनट से 05 बजकर 47 मिनट तक
    • विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 30 मिनट से 03 बजकर 17 मिनट तक
    • गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 25 मिनट से 06 बजकर 49 मिनट तक
    • निशिता मुहूर्त - रात्रि 12 बजकर 06 मिनट से 12 बजकर 55 मिनट तक

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।