Mangal Pujan: जीवन के हर कार्य में होंगे सफल, मंगल ग्रह को करें प्रसन्न
Mangal Pujan मंगलवार के दिन मंगल ग्रह की पूजा का विधान है। ऐसी मान्यता है कि जो लोग साहस पराक्रम से जुड़ा कार्य करना चाहते हैं उन्हें मंगल ग्रह की पूजा करनी चाहिए। नवग्रहों के सेनापति मंगल अगर रुष्ट हो जाए तो जीवन की गाड़ी आसानी से आगे नहीं बढ़ सकती है। इसलिए कहा जाता है कि मंगल ग्रह को प्रसन्न रखना अति आवश्यक है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Mangal Pujan: मंगल ग्रह की पूजा ज्योतिष शास्त्र में अत्यधिक शुभ मानी गई है। ऐसी मान्यता है कि जो लोग साहस, पराक्रम से जुड़ा कार्य करना चाहते हैं, उन्हें मंगल ग्रह की पूजा करनी चाहिए। नवग्रहों के सेनापति मंगल अगर रुष्ट हो जाए, तो जीवन की गाड़ी आसानी से आगे नहीं बढ़ सकती है। चाहे वो कार्यक्षेत्र में हो या फिर रिश्तों में।
इसलिए कहा जाता है कि मंगल ग्रह को प्रसन्न रखना अति आवश्यक है। ऐसे में आज हम मंगल के मजबूत होने के लिए कुछ मंत्र और स्तोत्र (Benefits Of Mangal Strot) साझा करेंगे, जिससे आपका जीवन (Recitation Of Mangal Strot) सुखमय हो सके।
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मंगल स्तोत्र
रक्ताम्बरो रक्तवपु: किरीटी चतुर्मुखो मेघगदी गदाधृक्।
धरासुत: शक्तिधरश्र्वशूली सदा मम स्याद्वरद: प्रशान्त: ।।।।
ॐमंगलो भूमिपुत्रश्र्व ऋणहर्ता धनप्रद:।
स्थिरात्मज: महाकाय: सर्वकामार्थसाधक: ।।।।
लोहितो लोहिताऽगश्र्व सामगानां कृपाकर:।
धरात्मज: कुजो भौमो भूतिदो भूमिनन्दन: ।।।।
अऽगारकोतिबलवानपि यो ग्रहाणंस्वेदोदृवस्त्रिनयनस्य पिनाकपाणे:।
आरक्तचन्दनसुशीतलवारिणायोप्यभ्यचितोऽथ विपलां प्रददातिसिद्धिम् ।।।।
भौमो धरात्मज इति प्रथितः प्रथिव्यांदुःखापहो दुरितशोकसमस्तहर्ता।
न्रणाम्रणं हरित तान्धनिन: प्रकुर्याध: पूजित: सकलमंगलवासरेषु ।।।।
एकेन हस्तेन गदां विभर्ति त्रिशूलमन्येन ऋजुकमेण।
शक्तिं सदान्येन वरंददाति चतुर्भुजो मंगलमादधातु ।।।।
यो मंगलमादधाति मध्यग्रहो यच्छति वांछितार्थम्।
धर्मार्थकामादिसुखं प्रभुत्वं कलत्र पुत्रैर्न कदा वियोग: ।।।।
कनकमयशरीरतेजसा दुर्निरीक्ष्यो हुतवह समकान्तिर्मालवे लब्धजन्मा।
अवनिजतनमेषु श्रूयते य: पुराणो दिशतु मम विभूतिं भूमिज: सप्रभाव: ।।।।
मंगल ग्रह प्रार्थना मंत्र
ॐ धरणीगर्भसंभूतं विद्युतकान्तिसमप्रभम।
कुमारं शक्तिहस्तं तं मंगलं प्रणमाम्यहम।।
मंगल गायत्री मंत्र
ॐ क्षिति पुत्राय विदमहे लोहितांगाय
धीमहि-तन्नो भौम: प्रचोदयात।
मंगल नाम मंत्र
ॐ अं अंगारकाय नम: ॐ भौं भौमाय नम:"
ऊँ नमो भगवते पंचवदनाय पश्चिमुखाय गरुडानना
मं मं मं मं मं सकल विषहराय स्वाहा।।
मंगल ग्रह तांत्रिक मंत्र
ॐ हां हंस: खं ख:
ॐ हूं श्रीं मंगलाय नम:
ॐ क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नम:
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