Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Makar Sankranti 2025: मकर संक्रांति पर बन रहा है पुष्य नक्षत्र का दुर्लभ संयोग, बरसेगी मां लक्ष्मी की कृपा

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Thu, 09 Jan 2025 04:57 PM (IST)

    ज्योतिषीय गणना के अनुसार 14 जनवरी (Makar Sankranti 2025) को सुबह 08 बजकर 55 मिनट पर सूर्य देव धनु राशि से निकलकर मकर राशि में गोचर करेंगे। सूर्य देव के मकर राशि में गोचर करने के साथ ही खरमास समाप्त हो जाएगा। अतः मकर संक्रांति तिथि से सभी प्रकार के शुभ कार्य कर सकते हैं। इस दिन सूर्य देव की पूजा-उपासना की जाती है।

    Hero Image
    Makar Sankranti 2025: मकर संक्रांति का धार्मिक महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, 14 जनवरी को मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2025) है। यह पर्व सूर्य देव के मकर राशि में गोचर करने की तिथि पर मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर गंगा समेत पवित्र नदियों और सरोवरों में साधक आस्था की डुबकी लगाते हैं। इसके बाद सूर्य देव संग जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। पूजा समापन के बाद आर्थिक स्थिति के अनुसार दान-पुण्य करते हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    धार्मिक मत है कि मकर संक्रांति तिथि पर गंगा स्नान करने से जन्म-जन्मांतर में किए गए पाप मिट जाते हैं। साथ ही आरोग्यता का वरदान प्राप्त होता है। इस दिन पितरों का तर्पण करने से तीन पीढ़ी के पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। ज्योतिषियों की मानें तो मकर संक्रांति पर दुर्लभ पुष्य नक्षत्र (Pushya Nakshatra Yoga Importance) का संयोग बन रहा है। इस योग में स्नान-ध्यान, पूजा, जप-तप एवं दान करने से अक्षय फल की प्राप्ति होगी। आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-

    यह भी पढ़ें: मेष से लेकर मीन तक वार्षिक राशिफल 2025

    मकर संक्रांति शुभ मुहूर्त (Makar Sankranti 2025)

    14 जनवरी को माघ माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा है। प्रतिपदा यानी पहली तिथि 15 जनवरी को देर रात 03 बजकर 21 मिनट तक है। इसके बाद द्वितीया तिथि है। कुल मिलाकर कहें तो माघ माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर मकर संक्रांति मनाई जाएगी।

    पुष्य नक्षत्र

    मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर सबसे पहले पुनर्वसु नक्षत्र का संयोग है। इस योग में भगवान श्रीराम का जन्म हुआ है। अत: सनातन धर्म में पुनर्वसु नक्षत्र का विशेष महत्व है। इस योग का समापन सुबह 10 बजकर 17 मिनट  पर होगा। इसके बाद पुष्य नक्षत्र का संयोग है। ज्योतिषियों की मानें तो वर्षों बाद मकर संक्रांति पर पुष्य नक्षत्र का संयोग है। इस नक्षत्र के स्वामी शनिदेव हैं। अत: पुष्य नक्षत्र में काले तिल का दान करने से साधक को शनि की बाधा से मुक्ति मिलेगी। इसके साथ ही पुष्य नक्षत्र (Pushya Nakshatra astrological significance) में खरीदारी करना शुभ माना जाता है। इस शुभ अवसर पर बालव और कौलव करण के संयोग है।

    शिववास योग

    मकर संक्रांति के दिन देवों के देव महादेव कैलाश पर जगत की देवी मां पार्वती के साथ विराजमान रहेंगे। इस शुभ अवसर पर किसी समय भगवान शिव का अभिषेक एवं पूजा कर सकते हैं। वहीं, मकर संक्रांति का पुण्य काल सुबह 09 बजकर 03 मिनट से शाम 05 बजकर 46 मिनट तक है। जबकि, महापुण्य काल सुबह 09 बजकर 03 मिनट से 10 बजकर 48 मिनट तक है।

    यह भी पढ़ें: मकर संक्रांति पर न करें ये गलतियां, उल्टे पांव लौटेंगी धन की देवी

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।