Mahashivratri 2025: आखिर क्यों महाशिवरात्रि की रात को किया जाता है जागरण? पढ़ें इसकी खास वजह
वैसे तो हर महीने में मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है लेकिन फाल्गुन माह की महाशिवरात्रि (Maha Shivratri 2025) का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यता है कि इस तिथि पर विधिपूर्वक महादेव का अभिषेक करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। साथ ही जीवन में खुशियों का आगमन होता है। महाशिवरात्रि व्रत करने से महादेव की कृपा प्राप्त होती है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Maha Shivratri 2025: शिव पुराण में महादेव को समर्पित महाशिवरात्रि का विशेष महत्व बताया गया है। धार्मिक मान्यता है कि फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। इसी वजह से इस तिथि को महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। महाशिवरात्रि की रात को जागरण (Maha Shivratri Night awakening) करने का खास महत्व है।
धार्मिक मान्यता है कि रात में जागरण और महादेव के नाम का ध्यान करने से साधक के जीवन में हमेशा सुख-शांति बनी रहती है। महादेव और मां पार्वती की कृपा प्राप्त होती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि महाशिवरात्रि (Maha Shivratri Jagran significance) रात को ही क्यों जागरण करना शुभ माना जाता है? अगर नहीं पता, तो आइए हम आपको इस आर्टिकल में विस्तार से बताएंगे।
इसलिए किया जाता है रात्रि जागरण
धार्मिक मान्यता है कि महाशिवरात्रि की रात को भगवान शिव ने तांडव नृत्य किया था। महादेव के इस नृत्य को उत्पत्ति और विनाश के रूप में देखा जाता है। इस दिन रात में भगवान शिव और मां पार्वती की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करने से साधक की उनकी कृपा प्राप्त होती है। साथ ही सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। इसके अलावा जीवन में आ रहे सभी कष्ट दूर होते हैं।
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महाशिवरात्रि 2025 डेट और शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 26 फरवरी को सुबह 11 बजकर 08 मिनट पर होगी और अगले दिन यानी 27 फरवरी को सुबह 08 बजकर 54 मिनट पर तिथि का समापन होगा। इस प्रकार 26 फरवरी को महाशिवरात्रि मनाई जाएगी। महाशिवरात्रि पर चार प्रहर में भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा-अर्चना करना शुभ माना जाता है।
प्रथम प्रहर पूजा समय
26 फरवरी की शाम को 06 बजकर 19 मिनट से लकर रात 09 बजकर 26 मिनट तक।
द्वितीय प्रहर पूजा समय
26 फरवरी की रात को 09 बजकर 26 मिनट से लेकर रात को 12 बजकर 34 मिनट तक।
तृतीय प्रहर पूजा समय
27 फरवरी की रात को 12 बजकर 34 मिनट से लेकर सुबह 03 बजकर 41 मिनट तक।
चतुर्थ प्रहर पूजा समय
27 फरवरी को सुबह 03 बजकर 41 मिनट से लेकर सुबह 06 बजकर 44 मिनट तक।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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