Mahashivratri 2025: महाशिवरात्रि पर षोडशोपचार विधि से करें शिव जी की पूजा, पूरी होरी हर इच्छा
महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2025 Date) का दिन भगवान शंकर को समर्पित है। यह दिन शिव जी और मां पार्वती के मिलन का प्रतीक है। कहते हैं कि इस दिन भोलेनाथ की षोडशोपचार विधि (Shodashopachar Puja Vidhi) से पूजा करने से साधक को शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही शिव जी की विशेष कृपा मिलती है। इस साल 26 फरवरी को महाशिवरात्रि मनाई जाएगी।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। महाशिवरात्रि का दिन बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दिन 'भगवान शिव' की पूजा होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन शिव भक्त पूरी रात जागते हैं और ध्यान व जप करते हैं। इसके साथ ही कठिन उपवास का पालन करते हैं। माना जाता है कि इस मौके पर शिव जी की आराधना करने से सुख- शांति की प्राप्ति होती है, तो चलिए इस महापर्व (Mahashivratri 2025 Upay) को लेकर कुछ महत्वपूर्ण बातों को जानते हैं।
षोडशोपचार पूजा (Shodashopachar Puja Vidhi)
ऐसी मान्यता है कि महाशिवरात्रि पर भगवान शंकर की षोडशोपचार विधि से आराधना करनी चाहिए, क्योंकि इस खास दिन पर षोडशोपचार विधि से पूजा करने से भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं। दरअसल, इस दिन महादेव को 16 वस्तुएं चढ़ाई जाती हैं। षोडशोपचार पूजा सामग्री जैसे - पाद्य, अर्घ्य, आमचन, स्नान, वस्त्र, उपवस्त्र, आभूषण, गंध, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, ताम्बूल, स्तवन पाठ, तर्पण और नमस्कार आदि।
करें ये 1 चमत्कारी उपाय (Mahashivratri 2025 Upay)
षोडशोपचार पूजन के बाद भोले बाबा को मदार, बेल पत्र (बेल पत्र में राम नाम लिखें) और धतूरा चढाएं। 108, 21 या 11 की संख्या में बेलपत्र अर्पित करें। महाशिवरात्रि पर इस विधि से पूजा करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। साथ ही सदैव के लिए शिव जी का आशीर्वाद मिलता है।
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महाशिवरात्रि 2025 कब है? (Mahashivratri 2025 Date And Time)
हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर महाशिवरात्रि मनाई जाती है। इस साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 26 फरवरी को सुबह 11 बजकर 08 मिनट पर होगी। वहीं, इसका समापन 27 फरवरी को सुबह 08 बजकर 54 मिनट पर होगा। इस दिन निशा काल की पूजा का महत्व है। ऐसे में 26 फरवरी को महाशिवरात्रि मनाई जाएगी।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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