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    एक ही तिथि पर मनाई जाने के बाद भी अलग हैं महाशिवरात्रि और मासिक शिवरात्रि, पढ़ें दोनों का महत्व

    Updated: Sat, 15 Feb 2025 12:35 PM (IST)

    सनातन धर्म में महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2025) के पर्व का बेहद खास महत्व है। यह त्योहार भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा-अर्चना करने के लिए बेहद शुभ माना जाता है। इस पर्व के आने का शिव भक्त बेस्रबी से इंतजार करते हैं। साथ ही इस दिन शिव मंदिरों को बेहद सुंदर तरीके से सजाया जाता है। आइए जानते हैं महाशिवरात्रि और मासिक शिवरात्रि के फर्क के बारे में।

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    Mahashivratri 2025: महाशिवरात्रि और मासिक शिवरात्रि का धार्मिक महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पंचांग के अनुसार, महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2025 Date) के त्योहार को फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर मनाया जाता है। इस दिन महादेव और मां पार्वती की पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही विशेष चीजों से शिव जी का अभिषेक किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा और व्रत करने से जीवन में सभी सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही दुख और संकट से छुटकारा मिलता है।

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    वैसे तो हर महीने में मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है, लेकिन फाल्गुन माह की महाशिवरात्रि का विशेष महत्व है। क्या आप महाशिवरात्रि और शिवरात्रि में अंतर जानते हैं? अगर नहीं पता, ऐसे में आइए आपको बताएंगे महाशिवरात्रि और शिवरात्रि के फर्क के बारे में।

    महाशिवरात्रि 2025 डेट और शुभ मुहूर्त (Mahashivratri 2025 Date and Shubh Muhurat)

    पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 26 फरवरी को सुबह 11 बजकर 08 मिनट पर शुरु हो रही है और इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 27 फरवरी को सुबह 08 बजकर 54 मिनट पर होगा। इस प्रकार 26 फरवरी को महाशिवरात्रि व्रत किया जाएगा।

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    महाशिवरात्रि का महत्व

    आपकी जानकारी के लिए बता दें कि साल में केवल एक बार महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। यह पर्व फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को बेहद उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन लोग महादेव की सच्चे मन से पूजा-अर्चना करते हैं। साथ ही व्रत किया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस शुभ तिथि पर महादेव और मां पार्वती का विवाह हुआ था। इसी वजह इस दिन को महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। इस खास अवसर पर घर और मंदिरों में महादेव की विधिपूर्वक पूजा की जाती है। इसके अलावा शिव जी की बारात निकाली जाती है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन रात में शिव पूजन और जागरण करने से साधक की सभी मुरादें पूरी होती हैं और जीवन में खुशियों का आगमन होता है। आसान शब्दों में समझें तो पूरे वर्ष में 11 बार शिवरात्रि मनाई जाती हैं और महाशिवरात्रि का पर्व 1 बार मनाया जाता है।

    मासिक शिवरात्रि का महत्व

    पंचांग के अनुसार, हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है। यह पर्व हर महीने मनाया जाता है। इसी वजह से इसे मासिक शिवरात्रि कहा जाता है। लेकिन महाशिवरात्रि का महत्व मासिक शिवरात्रि से अधिक है। इस दिन भक्त महादेव की कृपा प्राप्त करने के लिए शिवलिंग का विशेष अभिषेक करते हैं। साथ ही व्रत भी किया जाता है। इससे घर में सुख-शांति का आगमन होता है।  

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।