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    Mahamrityunjaya Mantra का जप करने से मिलते हैं कई लाभ, लेकिन पहले जान लें इसके नियम

    Updated: Fri, 01 Aug 2025 10:35 AM (IST)

    सावन का महीना चल रहा है जो शिव जी की कृपा प्राप्ति के लिए बेहद उत्तम है। ऐसे में आप इस पूरे माह में खासकर सावन सोमवार के दिन भगवान शिव के मंत्रों का जप कर उनकी असीम कृपा के लाभ बन सकते हैं। आज हम आपको महामृत्युंजय मंत्र के जप के लाभ और नियम बताने जा रहे हैं।

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    Mahamrityunjaya Mantra कैसे करें महामृत्युंजय मंत्र का जप?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। महामृत्युंजय मंत्र भगवान शिव को समर्पित एक शक्तिशाली मंत्र है। जिसका नियमित रूप से जप करने से साधक को जीवन में कई तरह के लाभ मिल सकते हैं। लेकिन आपको यह लाभ तभी मिलेंहे, जब आप इससे जुड़े नियमों का भी पूरा ध्यान रखें।

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    चलिए जानते हैं कि महामृत्युंजय मंत्र के जप के दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए और इससे आपको क्या-क्या लाभ मिल सकते हैं। 

    महामृत्युंजय मंत्र -

    ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् |

    उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ||

    अर्थ - हम भगवान शिव की पूजा करते हैं, जो त्रिनेत्र धारी हैं, जो सुगंधित हैं और हमारा पोषण करते हैं। जिस प्रकार फल शाखा के बंधन से मुक्त हो जाता है, उसी प्रकार हम भी मृत्यु और नश्वरता से मुक्त हो जाएं।

    (Picture Credit: Freepik)

    मिलते हैं ये लाभ

    महामृत्युंजय मंत्र का जप करने से साधक पर भगवान शिव की कृपा तो बनी ही रहती है। साथ ही यह माना गया है कि यह मंत्र अकाल मृत्यु से रक्षा करता है और साधक को लंबी उम्र और स्वस्थ जीवन का आशीर्वाद मिलता है।

    इस मंत्र के जप से रोगों का नाश होता है और मानसिक शांति मिलती है। साथ ही यह मंत्र नकारात्मकता को भी दूर करने में मदद करता है और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहता है।

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    ध्यान रखें ये नियम

    शिव पुराण में इस बात का वर्णन मिलता है कि महामृत्युंजय मंत्र का 108 बार जप करने से व्यक्ति को अधिक-से-अधिक लाभ मिल सकता है। महामृत्युंजय मंत्र के जप के नियम बेहद आसान हैं, जो इस प्रकार हैं -

    • सुबह स्नान आदि से निवृत होने के बाद साफ-सुथरे कपड़े पहनें।
    • एक साफ आसन पर बैठ जाएं और भगवान शिव का ध्यान करें।
    • भगवान शिव के समक्ष सरसों के तेल या तिल के तेल दीपक जलाएं।
    • कोशिश करें कि मंत्र जप के दौरान आपका मुख पूर्व दिशा की ओर हो।
    • रुद्राक्ष की माला से मंत्र का 108 बार जप करें।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।